कोरोना वायरस के खौफ में भी जन्माष्टमी को लेकर श्रीकृष्ण के भक्तों में काफी उत्साह नजर आ रहा है. कई लोग परिवार संग जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के दर्शन करने जा सकते हैं. अगर आप भी जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण धाम जाकर उनके दर्शन करने वाले हैं तो भूलकर भी उनकी पीठ ना देखें. ऐसा करने से आप पाप की भागीदार बन सकते हैं. आइए जानते हैं श्रीकृष्ण की पीठ के दर्शन क्यों नहीं करने चाहिए और उनका नाम रणछोड़ कैसे पड़ा था.
2/8
भगवान श्रीकृष्ण की पीठ के दर्शन न करने के पीछे एक प्रचलित कथा है.
पौराणिक कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण जरासंध से युद्ध कर रहे थे तब जरासंध
का एक साथी असूर कालयवन भी भगवान से युद्ध करने आ पहुंचा.
3/8
जब कालयवन
श्रीकृष्ण के सामने पहुंचकर ललकारने लगा. तब श्रीकृष्ण वहां से भाग निकले
और इस तरह रणभूमि से भागने के कारण ही उनका नाम रणछोड़ पड़ गया. कृष्ण के
वहां से भागने की भी एक वजह थी.
Advertisement
4/8
श्रीकृष्ण जानते थे कि उनका सुदर्शन
कालयवन का कुछ नहीं बिगाड़ सकता. कालयवन के पिछले जन्मों के पुण्य बहुत
अधिक थे. दूसरा, कृष्ण किसी को भी तब तक सजा नहीं देते जब कि पुण्य का बल
शेष रहता है.
5/8
जब कृष्ण रण छोड़कर भागने लगे तो कालयवन उनकी पीठ
देखते हुए भागने लगा और इसी तरह उसका अधर्म बढ़ गया. ऐसा कहा जाता है कि
भगवान की पीठ पर अधर्म का वास होता है और उसके दर्शन करने से अधर्म बढ़ता
है.
6/8
कालयवन के पुण्य का प्रभाव खत्म हो गया तो कृष्ण एक गुफा में
चले गए, जहां मुचुकुंद नामक राजा निद्रासन में था. मुचुकुंद को देवराज
इंद्र का वरदान था कि जो भी व्यक्ति राजा को निंद से जगाएगा और वो उनकी नजर
पड़ते ही भस्म हो जाएगा.
7/8
कृष्ण ने गुफा में जाकर अपनी एक पोशाक
मुचुकुंद को उढ़ा दी. इसके बाद कालयवन ने मुचुकुंद को कृष्ण समझकर उठा दिया
और राजा की नजर पड़ते ही राक्षस वहीं भस्म हो गया.
8/8
इसलिए कहा जाता
है कि भगवान श्री हरि की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए क्योंकि इससे हमारे
पुण्य कर्म का प्रभाव कम होता है और अधर्म बढ़ता है. कृष्णजी के हमेशा ही
मुख की ओर से ही दर्शन.