कुछ विद्वानों के मुताबिक, राधा-कृष्ण की कहानी मध्यकाल के अंतिम चरण में भक्ति आंदोलन के बाद लोकप्रिय हुई. उस समय के कवियों ने इस आध्यात्मिक संबंध को एक भौतिक रूप दिया. प्राचीन समय में रुक्मिनी, सत्यभामा, समेथा श्रीकृष्णामसरा प्रचलित थी जिसमें राधा का कोई जिक्र नहीं मिलता है. देवकी पुत्र श्रीकृष्ण कुछ समय तक गोकुल में रहे और उसके बाद वृंदावन चले गए थे.