नगा बाबाओं की अपनी ही अलग रहस्यमयी दुनिया है. बेहद संयमित या यूं कहें कठोर जीवन जीने वाले नगाओं के जीवन का सिर्फ एक मकसद होता है, औघड़दानी के नाम का जाप करना और धर्म की रक्षा करना और इसके लिए ये समाज से खुद को पूरी तरह से काट लेते हैं.
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले में आए हुए साधु संतों के अलग-अलग रूप-रंग यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं.
कहीं चटपटिया बाबा हैं, तो कहीं एक डंडे से सब दुख दूर करने वाले महागौरी जी महाराज और कहीं 40 वर्षों तक बिना सोए जाग रहे फलाहारी बाबा.
कुम्भ नगरी यूं तो 29 सेक्टरों में फैली हुई है, लेकिन इस धार्मिक मेले में दूर-दूर से आने वाले बाबाओं की ख्याति भी अब चारों ओर फैल रही है.
इन बाबाओं की महिमा और साधना से दो-चार होने के लिए श्रद्घालु भी खिंचे चले आ रहे हैं.
महाकुंभ में अखाड़ा रोड के निकट पटरी किनारे बैठे चटपटिया बाबा राजस्थान के भरतपुर से आए हुए हैं. उदासीन अखाड़े से जुड़े इस बाबा को देखने के लिए प्रतिदिन भारी भीड़ जुट रही है. चटपटिया बाबा हमेशा बंदर का अभिनय करते हैं.
महागिरी जी महाराज बाबा कुशीनगर से आए हुए हैं. उनके हाथ में एक बड़ा सा डंडा रहता है. उनका दावा है कि डंडे के स्पर्श मात्र से शरीर के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
फलाहारी बाबा विश्व कल्याण की कामना लिए इस धार्मिक मेले में आए हुए हैं. इनके भक्तों का दावा है कि बाबा 40 वर्षों से सोए नहीं हैं. ये बाबा श्री पंचायती अखाड़े से जुड़े हुए हैं.
फलाहारी बाबा ने पिछले चार दशकों से नमक, मीठा और अन्न का त्याग कर रखा है.
उत्तर प्रदेश की प्रयागनगरी में महाकुम्भ शुरू होने के बाद से लगातार लोग लाखों की संख्या में जोश और उत्साह के साथ आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं.
महाकुम्भ में देश और विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम स्नान के लिए पहुंच रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड और नेपाल से बड़ी संख्या में विदेशी मेहमान संगम का रुख कर रहे हैं.
संगम तट पर बने तमाम मठों के शिविरों में विदेशी मेहमान जमकर देशी खाने का लुत्फ उठा रहे हैं.
विदेशी कपड़ों में सजे ये मेहमान जब जमीन पर बैठकर दाल-चावल का लुत्फ लेते दिखाई देते हैं, तो नजारा देखने लायक होता है.
देशी खाने के अलावा यहां आने वाले विदेशी मेहमान भारतीय संस्कृति से काफी प्रभावित दिख रहे हैं. जगह-जगह लगे पंडालों में वे यहां की सांस्कृतिक धरोहर को भी बखूबी निहार रहे हैं.
सुरक्षा के लिहाज से मेला क्षेत्र के बाहर ही कई चेक पोस्ट बनाए गए हैं जहां सीसीटीवी कैमरों और मेटल डिटेक्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
स्थानीय पुलिस के अलावा खुफिया विभाग के कर्मचारी भी सादे लिबास में पूरे मेला क्षेत्र में फैले हुए हैं. मेला क्षेत्र में पहुंचने वाले असामाजिक तत्वों पर उनकी कड़ी नजर है.
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने तो महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को लेकर एक शोध कराने का भी फैसला किया है.
इलाहाबाद में दूल्हा बनने जा रहे युवकों के लिए महाकुम्भ परेशानी का सबब बन गया है. महाकुम्भ के चलते शादी के इस मौसम में शहर के दूल्हों के लिए कारों की किल्लत हो गई है.
इलाहाबाद में अधिकांश कारें कुंभ मेले में आए अखाड़ों, संस्थाओं, संतों और श्रद्धालुओं के लिए बुक हो चुकी हैं. दूल्हे और बारात के लिए वाहन की व्यवस्था करने के लिए वरों के घरवाले ट्रैवल एजेंसियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है.