(Vastu Tips for Problem Solution) इस समय पूरी दुनिया अमंगल के दौर से गुजर रही है. हर तरफ उलझन और समस्या है. वास्तुशास्त्र में अमंगल को दूर भगाने के लिए के लिए कई उपाय बताए गए हैं. वास्तु के हिसाब से घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर सकारात्मक ऊर्जा लाई जा सकती है. आचार्य कमल नंदलाल से जानते हैं इसके बारे में.
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वास्तुशास्त्र में सबसे शुभ और सकारात्मक दिशा पूर्व मानी गई है. पूर्व को प्रजनन और ऊर्जा का क्षेत्र माना जाता है. जितने भी ग्रह हैं वो सीधे या परोक्ष रूप से सूर्य से ऊर्जा लेते हैं. शास्त्रों में सूर्य को भगवान शंकर को दक्षिणनेत्र कहा गया है.
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शिव का एक स्वरूप है जिसका चित्र घर में लगाने से घर से निश्चित रूप से अमंगल दूर हो जाता है. शिव के बगैर शक्ति की कल्पना नहीं की जा सकती और शिव की परिकल्पना शक्ति के बगैर नहीं की जा सकती. भगवान शंकर के इस स्वरूप को अर्धनारीश्वर कहा गया है.
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आम बोलचाल की भाषा में पत्नी को भी अर्धांगिनी कहा जाता है यानी पति का आधा अंग. एक स्त्री के अंदर 40 फीसदी पुरूष तत्व और एक पुरूष के अंदर 40 फीसदी स्त्री तत्व होता है. इसलिए ये दोनों एक-दूसरे के पूरक माने जाते हैं.
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शक्ति की दिशा पूर्व जबकि भगवान शंकर कि दिशा उत्तर पूर्व मानी जाती है. इसे हम ईशान कोण भी कहते हैं. पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में एक खास तरीके से इस चित्र को लगाने से बहुत शुभ स्थिति जन्म लेती है.
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घर में भगवान शंकर के अर्धनारीश्वर रूप का चित्र लगाते समय दिन, दिशा, मुहूर्त और आसपास के वातावरण का बहुत ध्यान देने की जरूरत है.
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शंकर के अर्धनारीश्वर रूप में दाईं तरफ शिव और बाईं तरफ शक्ति होती हैं. कई जगह ऐसे चित्र भी मिलते हैं जिसमें शिव बाईं तरफ और शक्ति दाईं तरफ होती है. इतना ध्यान देने की जरूरत है कि इस चित्र का दायां हाथ भगवान शंकर का और बायां हाथ शक्ति का होगा.
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शंकर के अर्धनारीश्वर रूप के ज्यादा चित्र खड़े रूप में मिलते हैं. ये चित्र घर की पूर्व दिशा में लगाना है. ये तस्वीर खरीदते समय ध्यान रखें कि इसमें शिव शांत और प्रसन्न मुद्रा में बैठे हुए हों और इसका फ्रेम सुनहरा रंग का हो और इसके बैकग्राउंड में हिमालय हो.
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शंकर के अर्धनारीश्वर चित्र पर फूलों की नहीं बल्कि पंचमुखी रूद्राक्ष की माला हार की तरह लगाएं और हर रविवार के दिन इस पर घी का दीपक जरूर जलाएं. इसे रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र में अमृतसिद्धी योग में लगाएं.