Buddha Purnima 2024 Date: बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार आने वाला है. बौद्ध धर्म में इस पर्व का बड़ा महत्व है. यह त्योहार बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध को समर्पित है. इसलिए इसे बुद्ध जयंती भी कहा जाता है. आपने गौतम बुद्ध की ढेर सारी प्रतिमाएं देखी होंगी, जिनमें वो अलग-अलग मुद्राओं में नजर आते हैं. क्या कभी आपने लेटे हुए बुद्ध की प्रतिमा या तस्वीर पर गौर किया है. क्या आप जानते हैं कि बुद्ध की इस मुद्रा में एक बड़ा रहस्य छिपा है. बुद्ध की इस मुद्रा में उनके जीवन के अंतिम पलों की कहानी है. इतना ही नहीं, यह मुद्रा उनके आखिरी संदेश से भी जुड़ी है.
क्यों खास है लेटे हुए बुद्ध की प्रतिमा?
लेटे हुए बुद्ध की प्रतिमा को उनके जीवन की अंतिम घड़ी की मुद्रा बताया जाता है. ऐसा कहते हैं कि गौतम बुद्ध की मृत्यु जहरीले खाने से हुई थी. विषैला भोजन खाने के बाद उनकी तबियत बहुत बिगड़ गई थी और वो वहीं जमीन पर लेट गए. उन्हें समझ आ चुका था कि उनका अंतिम समय आ गया है. तब बुद्ध ने वहीं किसी चीज पर अपना सिर टिकाया और अपने शिष्यों को अंतिम संदेश दिया था. बुद्ध की इस मुद्रा को 'महापरिनिर्वाण' नाम से जाना जाता है. बुद्ध ने इसी मुद्रा में अपना अंतिम संदेश दिया था. कहते हैं कि भगवान बुद्ध ने उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में अंतिम सांस ली थी.
महापरिनिर्वाण मुद्रा की सबसे विशाल प्रतिमा
आज उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में महापरिनिर्वाण मंदिर भी है. यह बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों में शुमार है. इस मंदिर में भगवान बुद्ध की 6.1 मीटर ऊंची मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में रखी है. इस मूर्ति में भगवान बुद्ध पश्चिम दिशा की तरफ लेटे हुए दिखाई देते हैं. यह मुद्रा महापरिनिर्वाण के लिए सही आसन माना जाता है. हर साल पूरी दुनिया से हजारों पर्यटक और तीर्थयात्री इस मंदिर में भगवान बुद्ध के दर्शन करने आते हैं.
बुद्ध का अंतिम संदेश
गौतम बुद्ध ने अपनी अंतिम घड़ी में अपने शिष्यों को पास बुलाया और उन्हें आखिरी संदेश दिया था, ताकि धर्म की जो बुनियाद उन्होंने रखी है, उसे सुरक्षित आगे कैसे बढ़ाया जा सके. उनके अंतिम संदेश का एक प्रसिद्ध वाक्य है- 'अप्प दीपो भव". यानी अपने दीपक स्वयं बनो. इसका मतलब है कि मनुष्य को अपने उद्धार के लिए स्वयं जिम्मेदार होना चाहिए. हर व्यक्ति को अपने स्वयं के ज्ञान और अनुभव के आधार पर फैसला लेना चाहिए. इसके लिए कभी बाहरी सत्ता या शक्ति पर निर्भर न रहें.
गौतम बुद्ध का कहना था का व्यक्ति को हमेशा सत्य और न्याय के मार्ग पर चलना चाहिए. दया और करुणा से दूसरों के साथ व्यवहार करना चाहिए. अहिंसा का पालन करना चाहिए.