Chaitra navarti 2025: साल में चार बार नवरात्र आते हैं. सबसे पहले चैत्र नवरात्र, फिर आषाढ़ नवरात्र, आश्विन नवरात्र और आखिर में माघ नवरात्र. इनमें भी चैत्र और आश्विन महीने के नवरात्र का विशेष महत्व है, जिसे शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है. नवरात्र का महापर्व मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों को समर्पित है. कहते हैं कि इन पवित्र दिनों में व्रत-उपासना करने से जीवन की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. आइए आज आपको त्रेता युग में भगवान राम द्वारा नवरात्र के व्रत रखने से जुड़ी एक कथा बताते हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में भगवान राम ने रावण से युद्ध से पूर्व माता चंडी से आध्यत्मिक बल और विजय की प्राप्ति के लिए सर्वप्रथम चैत्र नवरात्र के व्रत किए थे. सबसे पहले राम ने ही नवरात्र के व्रत रखे थे. भगवान राम ने किष्किंधा के पास ऋष्यमूक पर्वत पर चढ़ने से पहले मां दुर्गा की उपासना की थी. यही कारण है कि नवरात्र के नौवें दिन को रामनवमी भी कहा जाता है.
शास्त्रो के अनुसार, राम को नौ दिनों की उपासना करने का सुझाव ब्रह्मा जी ने दिया था. बह्मा जी ने राम को बताया था कि चंडी पाठ के बाद देवी स्वरूप को 108 नील कमल के फूल चढ़ाएं. यह नील कमल अति दुर्लभ होते हैं. तब श्रीराम ने अपनी सेना की मदद से 108 नील कमल जुटाए. हालांकि जब यह बात रावण के कानों तक पहुंची तो उसने अपनी मायावी शक्ति से वो फूल गायब कर दिए.
प्रभु राम जब पूजा के बाद फूल चढ़ाने गए तो उन्होंने देखा कि टोकरी में एक फूल कम था. श्रीराम को यह बात पता चल गई और वो चिंतित हो गए. तब प्रभु श्रीराम ने फूल की जगह अपनी एक आंख निकालकर देवी को चढ़ाने का निर्णय लिया.
उन्होंने जैसे ही तीर उठाया, तभी माता चंडी प्रकट हुई. राम की भक्ति देख माता प्रसन्न हो गईं और उन्हें विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया. बस तभी से चैत्र नवरात्र मनाने के प्रथा चली आ रही है.