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बजरंगबली की पूजा में करें इन मंत्रों का जाप

जीवन में किसी भी तरह के संकट से मुक्त‍ि पानी हो तो केसरी नंदन हनुमानजी की आराधना करने से हर समस्या का समाधान होगा...

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बजरंगबली की पूजा
बजरंगबली की पूजा

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प्रेत बाधा, बीमारी, किसी भी तरह का डर, दुश्मनों से बचाव या और भी कोई परेशानी हो इन सभी का निवारण है संकटमोचन हनुमान की उपासना में..

बजरंगबली की पूजा में इन मंत्रों के जाप से पाएं कष्ट से मुक्ति-

इस मंत्र को पढ़ते हुए पवनपुत्र हनुमान का आवाह्न करना चाहिए:

श्रीरामचरणाम्भोज-युगल-स्थिरमानसम् ।
आवाहयामि वरदं हनुमन्तमभीष्टदम् ॥

हनुमानजी की पूजा में इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें आसन समर्पित करना चाहिए:

नवरत्नमयं दिव्यं चतुरस्त्रमनुत्तमम् ।
सौवर्णमासनं तुभ्यं कल्पये कपिनायक ॥

इस मंत्र को पढ़ते हुए अंजनीपुत्र हनुमान को सिंदूर चढ़ाना चाहिए:

दिव्यनागसमुद्भुतं सर्वमंगलारकम् ।
तैलाभ्यंगयिष्यामि सिन्दूरं गृह्यतां प्रभो ॥

राम भक्त हनुमान की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा उन्हें पंचामृत चढ़ाना चाहिए:

मध्वाज्य - क्षीर - दधिभिः सगुडैर्मन्त्रसन्युतैः ।
पन्चामृतैः पृथक् स्नानैः सिन्चामि त्वां कपीश्वर ॥

हनुमानजी की पूजा करते हुए इस मंत्र को पढ़कर उनसे क्षमा-प्रार्थना करनी चाहिए:

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मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर ।
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे ॥

बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

सुमिरि पवन सुत पावन नामू ।
अपने बस करि राखे रामू ॥

सभी तरह के रोग और पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

हनुमान अंगद रन गाजे ।
हांके सुनकृत रजनीचर भाजे ॥

नासे रोग हरैं सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बल बीरा ॥

किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

ॐ हनुमते नमः ।

धन- सम्पत्ति की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन ।
शत्रून संहर मां रक्षा श्रियं दापय मे प्रभो ॥

अपनी रक्षा और यथेष्ट लाभ हेतु इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

अज्जनागर्भ सम्भूत कपीन्द्र सचिवोत्तम ।
रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमन् रक्ष सर्वदा ।।

दुश्मनों से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा ।

भूत-प्रेत बाधा से पीछा छुड़ाना हो तो हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय ।
नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः ।।

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प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन ।
जासु हृदय आगार बसिंह राम सर चाप घर ।।

मारुतिनंदन की पूजा में इस मंत्र के द्वारा उन्हें अर्घ्य देना चाहिए:

कुसुमा-क्षत-सम्मिश्रं गृह्यतां कपिपुन्गव ।
दास्यामि ते अन्जनीपुत्र । स्वमर्घ्यं रत्नसंयुतम् ।।

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