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Dev Uthani Ekadashi 2024 Vrat Katha: देवउठनी एकादशी पर पढ़ें ये खास कथा, श्रीहरि करेंगे हर इच्छा पूरी

Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में पड़ने वाली तिथियों में कार्तिक शुक्ल की पक्ष की एकादशी तिथि को अति महत्वपूर्ण माना जाता है, इस तिथि को देवउठनी एकादशी कहते हैं. इस तिथि को प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी एवं अन्य नामों से भी जाना जाता है.

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देवउठनी एकादशी 2024
देवउठनी एकादशी 2024

Dev Uthani Ekadashi 2024 Vrat Katha: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को शुभ तिथि माना जाता है और इसलिए लोग इस तिथि को व्रत रखते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में पड़ने वाली तिथियों में कार्तिक शुक्ल की पक्ष की एकादशी तिथि को अति महत्वपूर्ण माना जाता है, इस तिथि को देवउठनी एकादशी तिथि कहते हैं. इस तिथि को प्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी एवं अन्य नामों से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की कथा पढ़ना भी शुभ माना जाता है. 

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देवउठनी एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान नारायण से लक्ष्मी जी ने पूछा- “हे नाथ! आप दिन रात जागते हैं और सोते हैं तो लाखों-करोड़ों वर्षों तक सोते रहते हैं. आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें. इससे मुझे भी कुछ समय विश्राम करने का समय मिल जाएगा. ” लक्ष्मी जी की बात सुनकर नारायण मुस्कुराए और बोले- “देवी! तुमने ठीक कहा है. मेरे जागने से सब देवों और खासकर तुमको कष्ट होता है. तुम्हें मेरी वजह से जरा भी अवकाश नहीं मिलता. अतः तुम्हारे कथनानुसार आज से मैं प्रतिवर्ष चार मास वर्षा ऋतु में शयन किया करूंगा, उस समय तुमको और देवगणों को अवकाश होगा.

मेरी यह निद्रा अल्पनिद्रा और प्रलय कालीन महानिद्रा कहलाएगी. मेरी यह अल्पनिद्रा मेरे भक्तों के लिए परम मंगलकारी होगी. इस काल में मेरे जो भी भक्त मेरे शयन की भावना कर मेरी सेवा करेंगे और शयन व उत्थान के उत्सव को आनंदपूर्वक आयोजित करेंगे उनके घर में, मैं तुम्हारे साथ निवास करूंगा.” इस प्रकार जो भी भक्त देवउठनी के दिन भगवान विष्णु जी की पूजा आराधना करता है उसके घर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का वास होता है. 

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देवउठनी एकादशी पूजन विधि

इस दिन प्रातःकाल उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. आज के दिन भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए.  घर की सफाई के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाना चाहिए. एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल, मिठाई, बेर, सिंघाड़े, ऋतुफल और गन्ना उस स्थान पर रखकर उसे डलिया से ढांक देना चाहिए. इस दिन रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाना चाहिए. रात्रि के समय परिवार के सभी सदस्य को भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं का पूजन करना चाहिए.

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