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Janmashtami 2023: जब दुर्योधन अपनी ही साजिश में फंसे और उनकी पत्नी ही बन गईं कृष्ण भक्त!

दुर्योधन की पत्नी का नाम भानुमति था. वो एक बहुत ही सुंदर लड़की थी और जब कृष्ण दुर्योधन के महल में मेहमान बन कर आये तब वो सिर्फ सत्रह साल की थी. दुर्योधन ने एक षड्यंत्र रचा जिससे कृष्ण को नशे की हालत में ला कर कोई वादा करा लिया जाए.

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जन्माष्टमी पर सुनें कृष्ण की ये दुर्लभ कहानी
जन्माष्टमी पर सुनें कृष्ण की ये दुर्लभ कहानी

आज देश भर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. जन्माष्टमी भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल जन्माष्टमी की तिथि को लेकर लोग काफी असंमजस में रहे हैं.

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आपको बता दें कि देव ज्योतिषी और महादेवी काली मंदिर, मंदाकिनी तट के महंत अश्वनी पांडे के मुताबिक 6 सितंबर यानी आज दोपहर 3 बजकर 39 मिनट पर अष्टमी तिथि लग रही है जो 7 सितंबर को शाम 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. यानी 6 सितंबर की रात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनेगा. इसलिए शैव परंपरा के लोग आज कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे और वैष्णव संप्रदाय में 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी.

कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व श्रीकृष्ण  के अवतरण दिवस उत्सव के रूप में मनाया जाता है और इस दिन उनके बाल रूप की पूजा की जाती है.

जन्माष्टमी पर जरूर सुनें ये कहानी 

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रमुख सद्गुरु ने अपने प्रवचनों में कई बार कृष्ण लीलाओं और उनसे जुड़ी कहानियों का जिक्र किया है. आज जन्माष्टमी पर हम आपको सद्गुरु की सुनाई ऐसी ही एक कहानी बता रहे हैं.

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दुर्योधन ने चली थी ये चाल

दुर्योधन की पत्नी का नाम भानुमति था. वो एक बहुत ही सुंदर लड़की थी, और जब कृष्ण दुर्योधन के महल में मेहमान बन कर आये तब वो सिर्फ सत्रह साल की थी. दुर्योधन ने एक षड्यंत्र रचा. दुर्योधन ने सोचा कि कृष्ण को नशे की हालत में ला कर वह उनसे कोई वादा करा लेगा. उसने भोज में तरह-तरह के व्यंजनों के साथ शराब की भी व्यवस्था की. इस भोज में दुर्योधन के दोस्त भी आए और सब नशे में धुत हो गए. लेकिन श्रीकृष्ण ने इन सबसे खुद को दूर रखा.

नशे में चूर होकर कृष्ण के पास पहुंची दुर्योधन की पत्नी

दुर्योधन चाह रहा था कि श्रीकृष्ण नशे में चले जाए लेकिन हुआ ये कि दुर्योधन की पत्नी भानुमति ने कुछ ज्यादा ही शराब पी ली. वो एक युवा लड़की थीं और उन्हें इन चीजों की आदत नहीं थी. वह नशे में सारी सुध-बुध खो बैठीं.

कृष्ण ने बचाई हस्तिनापुर की लाज

भानुमति अपना काबू खो बैठीं और कृष्ण से लिपट गईं और उनके लिए अपनी इच्छा प्रकट करने लगीं. कृष्ण ने उसे किसी शिशु की तरह सम्भाल. वो समझ गए थे कि स्थिति खराब हो चुकी है. भानुमती अगर कुछ गलत कर बैठीं तो बाद में संभाल नहीं पाएंगी और हस्तिनापुर की रानी का गौरव कलंकित हो जाएगा.

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इसलिए कृष्ण उसको उठा कर महल के अंदर ले गए और उनकी सास गांधारी के कक्ष में जा कर उन्हें उनके हवाले कर दिया. अगले दिन सुबह जब भानुमति को पता चला तो वो कृष्ण के प्रति सम्मान और कृतज्ञता से भर गईं कि उन्होंने उन्हें बचा लिया था. तब से वो कृष्ण की भक्त बन गईं.

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