ऐसा देखा गया है कि कुछ छात्रों के मन में पढ़ने की इच्छा तो बड़ी प्रबल होती है, पर पढ़ाई में उनका ध्यान नहीं लगता है. किताब के खुले पन्ने छात्र को निहार रहे होते हैं और विद्यार्थी का ध्यान अक्सर भटककर कहीं दूसरी जगह चला जाता है. दूसरी तरह की समस्या यह देखी जाती है कि कुछ लोग पढ़ाई तो गंभीरता के साथ करते हैं, पर वे पढ़ी हुई बातों को याद नहीं रख पाते. इस तरह की समस्याओं का निदान श्रीरामचरितमानस के मंत्र से संभव है.
अगर किताबों के अध्ययन के साथ-साथ नियमित रूप से मंत्र का बोलकर जाप किया जाए या मन ही मन स्मरण किया जाए, तो इससे एकाग्रता बढ़ती है. पढ़ाई-लिखाई में उत्साह मिलता है. सबसे बड़ी बात यह कि प्रभु की कृपा से विद्या फलदायी होती है. मंत्र बालकांड का है:
गुरगृहं गए पढ़न रघुराई। अलप काल बिद्या सब आई।।
श्रीरामचंद्रजी और उनके भाई जैसे ही किशोरावस्था में पहुंचे, उन्हें विद्या अर्जित करने के लिए गुरु के घर भेज दिया गया. थोड़े ही समय में उन्हें सभी विद्याएं आ गईं.
श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों और दोहों का मंत्र के रूप में प्रयोग पुराने समय से प्रचलित है. ध्यान रखने वाली बात यह है कि कोई भी मंत्र साधक के विश्वास के मुताबिक ही फल देता है.
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