कई बार सारी परिस्थितियां अनुकूल होने और इच्छा के बावजूद विवाह तय होने में ज्यादा देर होने लगती है. ऐसे में वर या कन्या के माता-पिता को चिंता सताने लगती है. वे कामना करते हैं कि अड़चनें दूर हों और वे अपनी संतान की शादी ठीक तरीके से जल्द से जल्द कर सकें.
इस कामना की पूर्ति के लिए ‘श्रीरामचरितमानस’ का एक सरल व प्रभावकारी मंत्र है. श्रद्धा के साथ मंत्र के लगातार जाप से कल्याण होता है, ऐसा साधकों को मानना है. मंत्र बालकांड से लिया गया है. यह इस प्रकार है:
तब जनक पाइ बसिष्ठ आयसु ब्याह साज संवारि कै।
मांडवी श्रुतकीरति उरमिला कुअंरि लईं हंकारि कै।।
श्रीरामचंद्रजी सीताजी की मांग में सिंदूर दे चुके हैं. मंडप में दोनों का विवाह हो चुका है. सभी लोग आनंद मना रहे हैं. ऐसे में वसिष्ठ मुनि की आज्ञा मिलने के बाद राजा जनकजी ने विवाह का सारा सामान सजा लिया और मांडवी, श्रुतकीर्ति और उर्मिला को बुलवा लिया. इसके बाद मांडवी का विवाह भरत से, उर्मिला का विवाह लक्ष्मण से और श्रुतकीर्ति का विवाह शत्रुघ्न के साथ कर दिया गया.
वैसे तो मानस में लिखे इस पूरे प्रसंग का पाठ कल्याणकारी है, पर अगर वैसा न कर सकें, तो कम से कम ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करें. प्रभु की कृपा से मनोकामना पूरी होगी.
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