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Nag Panchami 2024: आखिर नाग पंचमी पर क्यों पीटी जाती है गुड़िया, जानें इसके पीछे की खास कथा

Nag Panchami 2024: पंचांग के अनुसार सावन महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है. इस साल, नाग पंचमी का यह पावन पर्व 9 अगस्त 2024 यानी आज है. नाग पंचमी पर भगवान शिव की पूजा-आराधना के साथ उनके गले की शोभा बढ़ाने वाले नाग देवता की विधिवत पूजा-अर्चना होती है.

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नाग पंचमी 2024
नाग पंचमी 2024

Nag Panchami 2024: नाग पंचमी का त्योहार 9 अगस्त यानी आज मनाया जा रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन नाग देवता की विधि-विधान से पूजा की जाती है. हालांकि, सनातन धर्म में देवी-देवताओं का नागों के साथ संबंध काफी पुराना रहा है जिसकी झलक हमें देवी-देवताओं के चित्रों में देखने को मिलती है.

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भगवान श्रीहरि विष्णु की शैय्या शेषनाग हैं और नाग देवता को ही शिव जी ने अपने गले में धारण किया है. मान्यताओं के अनुसार, कुछ स्थानों पर नाग पंचमी अलग तरीके से मनाई जाती है. जैसे, उत्तर प्रदेश में नाग पंचमी एक अलग ही परंपरा के साथ मनाई जाती है. दरअसल, नाग पंचमी के दिन उत्तर प्रदेश में गुड़िया पीटने का रिवाज है. तो आइए जानते हैं कि इसके पीछे की खास वजह. 

गुड़िया पीटने की परंपरा- पहली कथा

तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मौत हो गई थी. कुछ वर्षों के बाद तक्षक की चौथी पीढ़ी की कन्या का विवाह राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी से हुआ. विवाह के बाद उसने अतीत का यह राज एक सेविका को बता दिया. कन्या ने सेविका से कहा कि वो ये बात किसी और को न बताए लेकिन सेविका से रहा नहीं गया और उसने यह बात एक दूसरी सेविका को बता दी. इस तरह बात फैलते-फैलते ये बात पूरे नगर में फैल गई. 

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ये बात जब तक्षक के राजा तक पहुंची तो उन्हें क्रोध आ गया. उन्होंने नगर की सभी स्त्रियों को चौराहे पर इकट्ठा होने का आदेश दिया. इसके बाद कोड़ों से पिटवाकर उन्हें मरवा दिया. राजा को इस बात का गुस्सा था कि औरतों के पेट में कोई बात नहीं पचती और इस वजह से उसकी पीढ़ी से जुड़ी अतीत की एक पुरानी बात पूरे साम्राज्य में फैल गई. मान्यताओं के अनुसार, तभी से यहां गुड़िया पीटने की परंपरा मनाई जा रही है. 

दूसरी कथा

दूसरी कथा के मुताबिक, भोलेनाथ का एक परम भक्त हर दिन शिव मंदिर जाकर पूजा करता था और नाग देवता के दर्शन करता था. भक्त हर दिन नाग देवता को दूध पिलाता था. धीरे-धीरे दोनों में प्रेम हो गया. नाग देवता को भक्त से इतना लगाव हो गया कि वो उसे देखते ही अपनी मणि छोड़ उसके पैरों में लिपट जाता था. एक दिन सावन के महीने में वो भक्त अपनी बहन के साथ उसी शिव मंदिर में आया. नाग हमेशा की तरह भक्त को देखते ही उसके पैरों से लिपट गया.

ये दृश्य देखकर बहन भयभीत हो गई. उसे लगा कि नाग उसके भाई को काट रहा है. बहन ने भाई की जान बचाने के लिए उस नाग को पीट-पीटकर मार डाला. इसके बाद जब भाई ने अपनी और नाग की पूरी कहानी बहन को सुनाई तो वह रोने लगी. वहां उपस्थित लोगों ने कहा कि 'नाग' देवता का रूप होते हैं. तुमने उसे मार दिया इसीलिए तुम्हे दंड मिलना चाहिए. हालांकि, यह पाप अनजाने में हुआ है इसलिए भविष्य में आज के दिन लड़की की जगह गुड़िया को पीटा जाएगा. इस तरह नाग पंचमी के दिन गुड़िया पीटने की परंपरा शुरू हुई.

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