Pitru Paksha 2024: जीवन की उन्नति में तमाम चीजें बाधा उत्पन्न करती हैं. कुछ दोष जाने पहचाने होते हैं और कुछ अज्ञात. इन्हीं अज्ञात दोषों में से एक है- पितृ दोष. आमतौर से यह दोष राहु से बनता है. राहु की विशेष स्थितियां ही इस योग का निर्माण करती हैं. ऐसे में पितरों की विशेष कृपा को प्राप्त करना बहुत जरूरी होता है. और श्राद्ध वो समय होता है, जब आप अपने पूर्वजों को प्रसन्न कर सकते हैं. पितृपक्ष में पितरों के विधिवत श्राद्ध से ही कुंडली में पितृदोष के प्रभाव को बेअसर किया जा सकता है.
पितृदोष के नुकसान
पितृदोष के कारण व्यक्ति को हमेशा मानसिक परेशानी की समस्या रहती है. पारिवारिक संतुलन नहीं बैठ पाता है. पैसा कमाने के बाद भी घर में बरकत नहीं हो पाती है. स्वयं निर्णय लेने में बहुत परेशानी होती है. परीक्षा और साक्षात्कार में भी असफलता मिलती है. संतान प्राप्ति में बाधाएं आती हैं.
कुंडली में क्यों होता है पितृदोष?
शास्त्रों में पितृदोष के कुछ प्रमुख कारण बताए गए हैं. पूर्वजन्म में अगर माता-पिता की अवहेलना की गई हो या अपने दायित्वों का ठीक से पालन न किया गया हो तो पितृदोष लगता है. अपने अधिकारों और शक्तियों का दुरूपयोग करने वालों पर इसका असर अधिक रहता है. व्यक्ति को जीवन में हर कदम पर असफलता मिलती है.
किन योगों से बनता है पितृदोष?
ज्योतिषविद कहते हैं कि कुंडली में राहु के दूषित होने पर पितृदोष लगता है. इसके अलावा, अगर राहु का संबंध धर्म भाव से हो या राहु का संयोग सूर्य अथवा चन्द्रमा के साथ हो तब भी पितृदोष लगता है. कुंडली में गुरु चांडाल योग या केंद्र स्थान रिक्त हो तो भी आदमी पितृदोष से पीड़ित रहता है.
पितृदोष का निवारण?
शास्त्रों में पितृदोष से निजात के कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं. कहते हैं कि अमावस्या के दिन किसी निर्धन को भोजन कराने से पितृदोष का प्रभाव कम होता है. इस भोज में खीर को जरूर शामिल किया जाता है. इसके अलावा, पीपल का वृक्ष लगवाने और उसकी देखभाल करने, श्रीमदभगवद्गीता का नित्य प्रातः पाठ करने, मंदिर में रोज शाम को दीपक जलाने से भी पितृदोष का प्रभाव बेअसर होता है. अगर मामला ज्यादा जटिल हो तो श्रीमद्भागवद् का पाठ कराना उत्तम होता है.