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क्या है श्राद्ध में पंचबलि का महत्व? जानें 5 जगहों पर क्यों निकाला जाता है पितरों का खाना

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और ये अमावस्या तिथि तक रहता है. पितृपक्ष के दिनों में वातावरण अत्यंत सादा और सात्विक होता है. ब्राह्मण भोजन से लेकर विशेष पूजन से लेकर ब्राह्मण भोजन की परंपरा वाला श्राद्ध तब तक अधूरा है जब तक कि पंचबलि न की जाए. तो आइए जानते हैं कि पंचबलि क्या होता है.

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पंचबलि कर्म क्या है
पंचबलि कर्म क्या है

Pitru Paksha 2024: श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करने का खास महत्व माना जाता है. हिंदू धर्म में इन दिनों का खास महत्व है. पितृ पक्ष पर पितरों की मुक्ति के लिए कर्म किए जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ नाराज हो जाएं तो घर की तरक्की में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं. यही कारण है कि पितृ पक्ष में पितरों को खुश करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध किए जाते हैं. पितृ पक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और ये अमावस्या तिथि तक रहता है. 

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ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज पशु पक्षियों के माध्यम से हमारे निकट आते हैं और हमें आशीर्वाद देकर जाते हैं. जिन जीवों और पशु-पक्षियों के माध्यम से हमारे पितृ आहार ग्रहण करते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं वो हैं गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी जिसको महाबलि कर्म कहा जाता है. तो आइए जानते हैं कि महाबलि कर्म किसे कहते हैं. 

महाबलि कर्म क्या है?

पितृ पक्ष में जब हम श्राद्ध करते हैं तो हम अपने पूर्वजों के लिए आहार का अंश निकालते हैं, साथ ही गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी के लिए उस आहार में से अंश निकाला जाता है तभी जाकर के श्राद्ध का कार्य पूर्ण होता है. श्राद्ध करते समय पितरों को अर्पित करने वाले भोजन के पांच अंश मुख्यता निकाले जाते हैं गाय के लिए, कुत्ते के लिए, चींटी के लिए, कौवे के लिए और देवताओं के लिए. इन पांच जगहों पर जो हम आहार का अंश निकालते हैं और इन्हें अर्पित करते हैं इसे ही पंचबलि कर्म कहा जाता है. 

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ये बलि किसी पशु-पक्षी की बलि नहीं बल्कि पितृ पक्ष में पंचबलि का मतलब होता है पांच तरह से पितरों को भोजन अर्पित करना या दुनिया के पांच उन लोगों, उन तत्वों को या उन जीवों को जिनके संपर्क में आने से हमें हमारे पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

पंचबलि कर्म की विधि?

पंचबलि का मतलब मारने काटने से बिल्कुल भी नहीं है. सबसे पहले एक हवन कुंड में उपला जला लें या कंडा जला लें और फिर उसमें 3 बार भोजन की आहुति दें. श्राद्ध कर्म में किसी को भोजन कराना है, किसी ब्राह्मण को, किसी निर्धन को या स्वयं करना है उसके पहले 5 जगहों पर अलग अलग भोजन का अंश निकाल लें. उसके बाद गाय, कुत्ता, चींटी और देवताओं के लिए पत्ते पर भोजन निकालें. कौवे के लिए जमीन या भूमि पर भोजन का अंश निकालें और फिर प्रार्थना करें कि इनके माध्यम से पितृ आहार ग्रहण करें. जब सारा भोजन निकालने के बाद आप गाय को खिला सकते हैं, कौवे के लिए अलग के छत के किनारे या छत पर किसी कोने में रख दें. 

पंचबलि के लिए इन पांच जीवों का ही चुनाव क्यों?

कुत्ता जो है वो जल तत्व का प्रतीक है. चींटी अग्नि तत्व का प्रतीक है. कौवा वायु तत्व का प्रतीक है. गाय पृथ्वी तत्व की प्रतीक है और देवता आकाश तत्व के प्रतीक माने जाते हैं. इस तरीके से इन पांचों को आहार दे करके हम पांचों तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. हमारा शरीर इन पांच तत्वों से बनता है और जब शरीर छूटता है तो हमारे पांचों तत्व में अपनी अपनी जगह पर जाकर के मिल जाता हैं.

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