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Sawan 2023: रावण ने रचा था शिव तांडव स्तोत्र, सावन के सोमवार इसका पाठ करने से होगा लाभ

Sawan 2023: कहते हैं कि शिव तांडव स्त्रोत में वो शक्ति है, जो महादेव को कृपा बरसाने पर मजबूर कर देती है. ज्योतिषविद कहते हैं कि यदि सावन के सोमवार नियमित शिव तांडव स्त्रोत का पाठ किया जाए तो भोलेनाथ से कोई भी वरदान प्राप्त किया जा सकता है.

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Sawan 2023: रावण ने रचा था शिव तांडव स्तोत्र, सावन के सोमवार इसका पाठ करने से होगा लाभ
Sawan 2023: रावण ने रचा था शिव तांडव स्तोत्र, सावन के सोमवार इसका पाठ करने से होगा लाभ

Sawan 2023: रावण भगवान शिव का परम भक्त था और महादेव को प्रसन्न करने के लिए उसने विशेष स्तुति की रचना की थी, जिसे शिव तांडव स्त्रोत के नाम से जाना जाता है. कहते हैं कि शिव तांडव स्त्रोत में वो शक्ति है, जो महादेव को कृपा बरसाने पर मजबूर कर देती है. ज्योतिषविद कहते हैं कि यदि सावन के सोमवार नियमित शिव तांडव स्त्रोत का पाठ किया जाए तो भोलेनाथ से कोई भी वरदान प्राप्त किया जा सकता है.

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क्या है शिव तांडव स्तोत्र?
शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव के परम भक्त रावण द्वारा की गई एक विशेष स्तुति है. यह स्तुति छन्दात्मक है और इसमें बहुत सारे अलंकार हैं. कहते हैं कि रावण जब कैलाश पर्वत लेकर चलने लगा तो शिवजी ने अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबा दिया था. इससे रावण कैलाश पर्वत के नीचे दब गया. तब रावण ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए जो स्तुति की थी, उसे शिव तांडव स्तोत्र कहा गया. जिस जगह रावण दबा था, उसे राक्षस ताल कहा जाने लगा.

क्या है तांडव?
तांडव शब्द 'तंदुल' से बना हुआ है, जिसका अर्थ उछलना होता है. तांडव में उर्जा और शक्ति से उछलना होता है, ताकि दिमाग और मन शक्तिशाली हो जाए. तांडव नृत्य केवल पुरुषों को ही करने की अनुमति होती है. महिलाओं को तांडव करने की मनाही है.

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किन दशाओं में करें शिव तांडव स्तोत्र का पाठ?
जब स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कोई समाधान न निकल पाए या  तंत्र-मंत्र में बाधा आए तो इसे कर सकते हैं. जब शत्रु परेशान करे या आर्थिक व रोजगार से जुड़ी समस्याएं हों तो ये तांडव कर सकते हैं. यदि जीवन में किसी विशेष उपलब्धि की ख्वाहिश है या ग्रहों की दशा बिगड़ी हो, तभी भी ये किया जा सकता है.

शिव तांडव स्तोत्र पाठ के नियम
सुबह या प्रदोष काल में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना सर्वोत्तम होता है. पहले शिवजी को प्रणाम करें. उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें. इसके बाद गाकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें. अगर नृत्य के साथ इसका पाठ करें तो सर्वोत्तम होगा. पाठ के बाद शिवजी का ध्यान करें और अपनी प्रार्थना करें.

 

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