Shri Krishna Janmashtami 2024: आज देशभर में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है. यह पर्व हर साल भादो कृष्ण अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन श्रीकृष्ण के भक्त उपवास करते हैं और भगवान के बाल स्वरूप की पूजा करते हैं. आपने भगवान कृष्ण और सुदामा की घनिष्ठ मित्रता के किस्से तो कई बार सुने होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मित्रता को अमर बनाने में भगवान कृष्ण का क्या योगदान है और मित्र शब्द श्रीकृष्ण के लिए कितना मायने रखता है. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.
शास्त्रों में कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. माना जाता है कि भगवान विष्णु अपने इस अवतार में सोलह कला सम्पन्न थे. कृष्ण का अर्थ सृष्टि को आकर्षित करने वाला भी होता है. और नाम के अनुरूप ही उन्होंने सारी सृष्टि को आकर्षित किया हुआ था. वे अलग-अलग स्वरूपों में भक्तों के निकट गए और उनकी मनोकामनाएं पूरी की. इन सब स्वरूपों में उनका मित्र का स्वरूप सबसे ज्यादा निकट माना गया है.
कृष्ण के लिए मित्र के मायने क्या हैं?
शास्त्रों में कृष्ण का अर्जुन के साथ, उद्धव के साथ और सुदामा के साथ मित्रता का वर्णन मिलता है. उद्धव के साथ उनकी मित्रता के कारण जीवन का दर्शन मिला.अर्जुन के साथ मित्रता के कारण सारी दुनिया को गीता का ज्ञान मिला. वही गीता जो वर्तमान काल में भी लोगों के लिए मार्गदर्शक बनी हुई है.
सुदामा को उन्होंने मित्रता में ही सम्पन्नता दे दी. निर्धन सुदामा के जीवन का श्रीकृष्ण के दर्शन मात्र से उद्धार हो गया था. कृष्ण और सुदामा की मित्रता तो आज भी एक मिसाल है. बचपन में कृष्ण ने सुदामा को वचन दिया था कि तुम जब भी संकट में मुझे याद करोगे, हमेशा अपने निकट पाओगे. मैं जरूर अपनी मित्रता निभऊंगा और बाद में श्रीकृष्ण ने अपना वचन भी निभाया. तभी तो मुट्ठीभर चावल के बदले कृष्ण ने निर्धन सुदामा को धनवान बना दिया था. कृष्ण के साथ मित्रता का संबंध न केवल भक्ति का कारण बना बल्कि ज्ञान और मुक्ति का कारण भी बना.
कृष्ण के साथ मित्रता कैसे स्थापित की जाए?
मित्रता के लिए ईमानदारी आवश्यक है. इसलिए कृष्ण को मित्र बनाने के लिए इंसान को सबसे पहले ईमानदार अपनानी चाहिए. यदि आप श्रीकृष्ण के प्रिय मित्र बनना चाहते हैं तो अपको छल, कपट का त्याग करना होगा. अपनी सारी समस्याएं, दुख-सुख उनसे एक मित्र की तरह साझा करें. इसके बाद अंतरात्मा में उसका जो भी समाधान मिले, उसे स्वीकार करें. अपनी मित्रता का दुरूपयोग कभी न करें.