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हाथ में गीता, हृदय में श्रीगणेश और सिर पर डोल माता का आशीर्वाद... विज्ञान के साथ अध्यात्म की डोर भी थामी हुई हैं सुनीता विलियम्स

सुनीता विलयम्स जब पहली बार स्पेस मिशन पर गई थीं तब वह अपने साथ गीता की एक प्रति भी लेकर गई थीं. वह मानती हैं कि गीता में जो कर्म का संदेश दिया गया है और जिस तरह जीवन की व्याख्या की गई है, वह आपको हर जंग को जीतने और हर बाधा को पार करने में सहायक होती है.

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अंतरिक्ष .यात्री सुनीता विलियम्स अध्यात्म से भी गहराई से जुड़ी हुई हैं
अंतरिक्ष .यात्री सुनीता विलियम्स अध्यात्म से भी गहराई से जुड़ी हुई हैं

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की 9 महीने के बाद धरती पर वापसी हो गई है. बुधवार तड़के स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के जरिए फ्लोरिडा के तट पर उनकी सफल लैंडिंग हुई. उनका अंतरिक्ष मिशन 5 जून 2024 को शुरू हुआ था, जिसकी तयशुदा अवधि तो केवल आठ दिनों की थी, लेकिन तकनीकी खामियों के कारण उन्हें 9 महीनों तक अंतरिक्ष में फंसे रहना पड़ा. 

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सुनीता विलियम्स नौ महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद सकुशल धरती पर लौट आई हैं. बुधवार तड़के स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल सुनीता सहित चारों अंतरिक्षयात्रियों को लेकर फ्लोरिडा के समुद्र में लैंड हुआ. अंतरिक्ष से धरती तक का यह सफर 17 घंटे का था.

लैंडिंग की इस प्रक्रिया में सांसें थामने वाला 7 मिनट का एक पल भी था. यह वही स्थिति थी जो कल्पना चावला के साथ एक न भूलने वाला हादसा बन गई थी, लेकिन सुनीता विलियम्स ने इस पल को जिस बहादुरी और आत्मिक शक्ति के साथ पार किया उसमें उनकी उस आध्यात्मिक शक्ति का भी योगदान मानना चाहिए, जिसपर पर वो भरोसा करती हैं. 

सुनीता विलियम्स

भारत की सनातनी परंपरा पर सुनीता का विश्वास
बता दें कि सुनीता विलियम्स का पैतृक मूल भारतीयता का है और वह भारत की सनातनी परंपरा और दर्शन से अछूती नहीं हैं. वह शुरू से ही भारत की दैव परंपरा में विश्वास रखती हैं और साथ ही उनके हृदय के एक कोने में अध्यात्म का भी बसेरा है. इसी वजह से वह अपने आप को श्रीकृष्ण के युगांतकारी संदेश गीता के करीब पाती हैं. श्रीगणेश की विघ्नहर्ता छवि के सामने नतमस्तक होती हैं. महादेव शिव के कॉस्मिक योग और तप को जीवन का जीवंत स्वरूप मानती हैं. इसके साथ पवित्र ओंकार और स्वास्तिक चिह्न में भी उनकी आस्था है, जिनके निशान और छवियां वह अपने साथ रखती हैं. 

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बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुनीता विलियम्स दो बार गुजरात के गांधीनगर से 40 किमी दूर बसे एक गांव झुलसाण आ चुकी हैं. यह उनका पैतृक गांव है. यहां डोल माता का मंदिर है. इस मंदिर में उनकी बड़ी आस्था रही है. सुनीता जब झुलसाण आई थीं, तब उन्होंने डोल माता के दर्शन किए थे और उनकी तस्वीर और प्रसाद में चुनरी भी अपने साथ ले गई थीं. अंतरिक्ष मिशन पूरा होने के बाद भी उन्होंने मंदिर में दर्शन किए थे.

कई मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा है कि वह अपने पहले स्पेस मिशन में पैतृक गांव में मौजूद कुलदेवी डोल माता के मंदिर से प्रसाद स्वरूप चुनरी भी ले गई थीं. वह अपने जीवन में माता के आशीर्वाद का बहुत महत्व मानती हैं. 

 

कुलदेवी मंदिर में जारी थी प्रार्थना
बता दें कि डोल माता मंदिर, उनकी कुलदेवी का मंदिर है. पिछले 9 महीनों से यहां विशेष प्रार्थनाएं और अनुष्ठान जारी रहे हैं और इस प्राचीन डोल देवी मंदिर में अखंड ज्योति भी जलाई गई थी. यहां लगातार चल रही पूजा-पाठ के जरिए सुनीता विलियम्स की सकुशल वापसी की प्रार्थना की जा रही थी, जो कि अब बुधवार की सुबह पूरी हो गई है. ये सारी बातें इस ओर इशारा करती हैं कि अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स बहुत आध्यात्मिक भी हैं. यही नहीं वह अध्यात्म की इस डोर को अपनी अंतरिक्ष यात्राओं में भी थामे रखती हैं, जिनसे उन्हें मुश्किल से भी मुश्किल मिशन में मजबूत बने रहने की शक्ति मिलती है. 

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भगवद्गीता पर अभूतपूर्व विश्वास
सुनीता विलयम्स जब पहली बार स्पेस मिशन पर गई थीं, तब वह अपने साथ गीता की एक प्रति भी लेकर गई थीं. वह मानती हैं कि गीता में जो कर्म का संदेश दिया गया है और जिस तरह जीवन की व्याख्या की गई है, वह आपको हर जंग को जीतने और हर बाधा को पार करने में सहायक होती है. वह साल 2006 में स्पेस मिशन के लिए पहली बार गई थीं और इस दौरान उन्होंने कहा था कि इससे उन्हें प्रेरणा मिलती है और साथ ही अंतरिक्ष के निर्वात में गीता मानसिक स्थिति पर बहुत सकारात्मक असर बनाए रखती है. 

सुनीता विलियम्स

महादेव शिव और ओंकार में भी आस्था
इसके बाद साल 2012 में सुनीता विलियम्स दूसरी बार अंतरिक्ष में गई थीं. इस दौरान वह चार महीने तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रहीं और कई शोध भी किए. इस मिशन में उन्होंने तीन बार स्पेसवॉक की थी. इस अंतरिक्ष दौरे में सुनीता विलियम्स अपने साथ ओम का चिह्न और भगवान शिव की एक पेंटिंग ले गई थीं. उनके साथ उपनिषद की भी एक प्रति थी. ओंकार का स्वर सृष्टि का पहला स्वर है. यह परब्रह्म का नाद है जो सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है मन को आत्मिक शांति. महादेव शिव जो कि खुद में महायोगी हैं, उनकी तस्वीर भी सकारात्मक ऊर्जा का सोर्स है, जो पूरे अंतरिक्ष मिशन में सुनीता के साथ रही. 

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विघ्नहर्ता गणेश को मानती हैं सौभाग्यशाली
इसके बाद सुनीता विलियम्स तीसरी बार 5 जून, 2024 यानी कि पिछले साल अंतिरिक्ष में मिशन पर पहुंचीं थीं, हालांकि यह सफर सिर्फ आठ दिनों का था, लेकिन स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के प्रोपल्शन सिस्टम में दिक्कत आ गई. जिसके बाद से वह 9 महीने तक स्पेस में ही फंसी रह गईं. इस बार उनके लिए सहायक सिद्ध हुए श्रीगणेश, जो कि विघ्नहर्ता हैं. सुनीता विलियम्स अपने साथ श्रीगणेश की प्रतिमा ले गई थीं. वह भगवान गणेश को अपने लिए सौभाग्यशाली मानती हैं.

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