Utpanna Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में उत्पन्ना एकादशी का खास महत्व माना गया है. इस दिन भक्त भाव और समर्पण के साथ भगवान विष्णु की आराधना करते हैं. जो लोग इस दिन पूरे मन से व्रत करते हैं और विधि विधान से पूजा करते हैं उनकी परेशानियों का अंत हो जाता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी मिलता है. इस बार उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर यानी आज मनाई जा रही है. कहते हैं कि उत्पन्ना एकादशी की उपासना के साथ इस एकादशी की कथा भी सुननी चाहिए. तो आइए सुनते हैं खास कथा के बारे में.
उत्पन्ना एकादशी कथा (Utpanna Ekadashi katha)
भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं एकादशी माता के जन्म और इस व्रत की कथा युधिष्ठिर को सुनाई थी. सतयुग में मुर नामक एक बलशाली राक्षस था. उसने अपने पराक्रम से स्वर्ग को जीत लिया था. उसके पराक्रम के आगे इंद देव, वायु देव और अग्नि देव भी नहीं टिक पाए थे इसलिए उन सभी को जीवन यापन के लिए मृत्युलोक जाना पड़ा. निराश होकर देवराज इंद्र कैलाश पर्वत पर गए और भगवान शिव के समक्ष अपना दु:ख बताया. इंद्र की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव उन्हें भगवान विष्णु के पास जाने के लिए कहते हैं. इसके बाद सभी देवगण क्षीरसागर पहुंचते हैं, वहां सभी देवता भगवान विष्णु से राक्षस मुर से अपनी रक्षा की प्रार्थना करते हैं. भगवान विष्णु सभी देवताओं को आश्वासन देते हैं.
इसके बाद सभी देवता राक्षस मुर से युद्ध करने उसकी नगरी जाते हैं. कई सालों तक भगवान विष्णु और राक्षस मुर में युद्ध चलता है. युद्ध के समय भगवान विष्णु को नींद आने लगती है और वो विश्राम करने के लिए एक गुफा में सो जाते हैं. भगवान विष्णु को सोता देख राक्षस मुर उन पर आक्रमण कर देता है. लेकिन इसी दौरान भगवान विष्णु के शरीर से कन्या उत्पन्न होती है. इसके बाद मुर और उस कन्या में युद्ध चलता है. इस युद्ध में मुर घायल होकर बेहोश हो जाता है और देवी एकादशी उसका सिर धड़ से अलग कर देती हैं. इसके बाद भगवान विष्णु की नींद खुलने पर उन्हें पता चलता है कि किस तरह से उस कन्या ने भगवान विष्णु की रक्षा की है. इसपर भगवान विष्णु उसे वरदान देते हैं कि तुम्हारी पूजा करने वाले के सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी.
उत्पन्ना एकादशी पूजन विधि (Utpanna Ekadashi Pujan Vidhi)
उत्पन्ना एकादशी के दिन जल्दी उठकर स्नान करें. इसके बाद घर के मंदिर में दीप जलाएं. भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें और फिर उन्हें नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, पंचामृत, अक्षत, चंदन और मिष्ठान अर्पित करें. उसके बाद भगवान की आरती करें और भोग लगाएं. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.
भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं. इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें. इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें और संभव हो तो व्रत भी रखें.