Vat Savitri Vrat 2022: वट सावित्री व्रत हर साल कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखने की परंपरा है. ये बेहद कठिन व्रत है और करवा चौथ के व्रत जितना ही फलदायी होता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं. वट सावित्री का व्रत इस साल सोमवार, 3 जून को रखा जाएगा. ऐसी मान्यताएं हैं कि इसी दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी. आइए जानते हैं सावित्री कौन थी और उन्होंने कैसे अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से बचाए थे.
मद्र देश के राजा अश्वपति की कोई संतान नहीं थी. संतान पाने की ख्वाहिश में राजा ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की. इस तपस्या से प्रसन्न होकर माता सावित्री ने राजा को एक तेजस्वी पुत्री का वरदान दिया. चूंकि इस कन्या का जन्म माता सावित्री की अनुकंपा से हुआ था, इसलिए इसका नाम सावित्री ही रखा गया. राजकुमारी सावित्री जब बड़ी हुईं तो उनके लिए योग्य वर की तलाश करना बड़ा मुश्किल हो रहा था. अंतत: राजा ने एक मंत्री के साथ सावित्रि को वर की तलाश में तपोवन भेज दिया.
जब नारद ने की सत्यवान की मृत्यु की भविष्यवाणी
सावित्री ने राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को वर के रूप में चुना. राजा द्युमत्सेन का राज-पाठ छिन चुका था और वह वन में रहने लगे थे. सावित्री जब सत्यवान को चुनकर वापस महल पहुंची तो नारद की भविष्यवाणी ने सभी को हैरान कर दिया. उन्होंने कहा कि सत्यवान शादी के 12 वर्ष बाद ही मर जाएगा. ये सुनकर राजा ने सावित्री से कोई दूसरा वर चुनने को कहा, लेकिन सावित्री ने इनकार कर दिया.
सत्यवान के प्राण लेकर चलने लगे यमराज
आखिरकार सावित्री का सत्यवान से विवाह हो गया और वह अपने पति और सास-ससुर के साथ रहने वन चली गईं. नारद की भविष्यवाणी को ध्यान में रखते हुए जब सत्यवान की मृत्यु का समय करीब आया तो सावित्री ने उपवास रखना शुरू कर दिया. एक दिन सत्यवान जब जंगल में लकड़ी काट रहा था, तभी उसकी मृत्यु हो गई और यमराज उसके प्राण लेकर जाने लगे.
सावित्री ने यमराज से मांगे 3 वरदान
यमराज जब सत्यवान के प्राण लेकर जा रहे थे, तब सावित्री भी उनके पीछे आ गई. यमराज के लाख समझाने पर भी सावित्री मुड़कर वापस नहीं गईं. उनकी ये निष्ठा देखकर यमराज प्रसन्न हो गए और उन्होंने सावित्री से तीन वरदान मांगने को कहा. तब सावित्री ने सास-ससुर के लिए आंखें, खोया हुआ राज-पाठ और सौ पुत्रों का वरदान मांगा. यमराज ने सभी मांगें मानकर सावित्री को वरदान दे दिया.
सावित्री की चतुराई से प्रसन्न हुए यमराज
ये तीनों वरदान देकर जब यमराज सत्यवान के प्राण लेकर चलने लगे तो सावित्री फिर उनके पीछे आने लगे. इस बार यमराज नाराज हो गए. तब सावित्री ने यमराज से कहा, 'आपने मुझे 100 पुत्रों का वरदान दिया है और मेरे पति के प्राण आप लेकर जा रहे हैं. बिना पति के यह वरदान भला कैसे सफल होगा.' सावित्री की इस चतुराई से यमराज प्रसन्न हो उठे. उन्होंने तुरंत सत्यवान के प्राण मुक्त कर दिए. इसके बाद सावित्री सत्यवान को लेकर वट के नीचे चली गई और सत्यवान जीवित हो उठे. सावित्री जब पति को लेकर वापस लौटीं तो उन्होंने देखा कि उनके सास-ससुर की आंखें भी वापस आ चुकी हैं और उनका खोया हुआ राज-पाठ भी वापस मिल गया.