Yogini Ekadashi 2024: हर माह एकादशी आती है. पर योगिनी एकादशी का खास महत्व बताया गया है. आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. कहते हैं कि योगिनी एकादशी के दिन कथा जरूर सुननी चाहिए.
योगिनी एकादशी की कथा
धर्म शास्त्रों के अनुसार यह कथा भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी. स्वर्ग की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का राजा था. वह शिव भक्त था. हेम नाम का माली पूजन के लिए उसके यहां फूल लाता था. हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी. एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा. पूजा में विलंब देख राजा कुबेर ने सेवकों को माली के न आने का कारण जानने के लिए भेजा. तब सेवकों ने पूरी बात आकर राजा को सच-सच बता दी. यह सुनकर कुबेर बहुत क्रोधित हुआ और उसने माली को श्राप दे दिया कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक(पृथ्वी) में जाकर कोढ़ी बनेगा.
कुबेर के श्राप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर गिर गया. भूतल पर आते ही उसके शरीर में कोढ़ हो गया. उसकी स्त्री भी उसी समय गायब हो गई. मृत्युलोक में बहुत समय तक हेम माली दु:ख भोगता रहा लेनिक उसको पिछले जन्म की स्मृति का ज्ञान रहा. एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया. उसे देखकर मार्कण्डेय ऋषि बोले- तुमने ऐसा कौन-सा पाप किया है, जिसके प्रभाव से तुम्हारी यह हालत हो गई. हेम माली ने पूरी बात उन्हें बता दी. उसकी व्यथा सुनकर ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा. हेम माली ने विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया. इस व्रत के प्रभाव से वह अपने पुराने स्वरूप में आकर अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा.
योगिनी एकादशी पूजन विधि (Yogini Ekadashi Pujan Vidhi)
प्रात: स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद कलश स्थापना करें. कलश के ऊपर भगवान विष्णु की प्रतिमा रख कर पूजा की जाती है. भगवान को फल फूल अर्पित करें और श्रद्धा के साथ उनकी आरती पूजन करें. गुड़-चना का भी प्रसाद चढ़ाएं. इस पूजा से भगवान विष्णु आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश करेंगे. वहीं, माता लक्ष्मी आपके धन के भंडार को भी भरेंगी.