बिहार के जिला सहरसा के बनगांव में हो रहा ये भजन कीर्तन किसी पूजा पाठ का नहीं बल्कि एक धर्मसभा का हिस्सा है. हकीकत में इसे धर्म सभा से ज्यादा परंपरा कहें तो अच्छा होगा. क्योंकि इस धर्मसभा का इतिहास कोई 10, 20, 50 साल का नहीं बल्कि 125 सालों से भी ज्यादा का है. इतने सालों से ये धर्मसभा हर रविवार यहां बिना किसी ब्रेक के हो रही है.
बिना रूके चल रही है धर्मसभा की परंपरा
कई बार मौसम ने अपना तांडव दिखाया तो कभी छह-सात किलोमीटर दूर बहने वाली कोसी नदी ने अपनी विकराल धाराओं से इस गांव को तबाह किया. लेकिन इस सर्वोपकारिण सनातन धर्मसभा का सिलसिला बिना रुके चलता रहा.
लक्ष्मी-नारायण हैं इसके अध्यक्ष
गांव के स्थानीय निवासी, डॉक्टर ललितेश मिश्रा का कहना है कि धर्मसभा की खासियत यह है कि इंसान नहीं बल्कि भगवान लक्ष्मी नारायण इस धर्मसभा के अध्यक्ष है. हां एक व्यास जरुर होते हैं जो धर्मसभा की कार्यवाही को एक तय क्रम में आगे बढ़ाते हैं. इसमें वो वेद, वेदांत, पुराण और स्मृति का पाठ करते हैं और फिर उसकी व्याख्या भी करते हैं. इसके बाद धर्म शास्त्रों के ज्ञान के माध्यम से सामाजिक शिक्षा दी जाती है. फिर धर्मसभा में मौजूद गणमान्य लोगों से भी उनके विचार रखने को कहा जाता है.
125 साल का रिकॉर्ड है दर्ज
सर्वोपकारिण सनातन धर्म सभा के व्यास बताते हैं कि करीब 125 साल पहले इस धर्म सभा की शुरुआत इलाके के संत लक्ष्मी नाथ गोसाईं की प्रेरणा पर सत्यसंध बबुआ खां नाम के एक गांववाले ने की थी. पूरी कार्यवाही को सालों से एक रजिस्टर में लाल स्याही से दर्ज किया जाता रहा है.
आप आज से 80 साल पुराने धर्मसभा की कार्यवाही के बारे में कुछ जानना चाहे तो उसके रिकॉर्ड भी आप यहां देख सकते हैं. इसे गांववालों की नैतिकता कहें या फिर माहौल का असर पिछले 125 से भी ज्यादा सालों से इस गांव में चोरी, लूट डकैती, राहजानी जैसे एक भी वारदात पुलिस में दर्ज नहीं की गई है.
साक्षरता में भी आगे है यह गांव
गांव के पुलिस इंस्पेक्टर का कहना है कि धर्म-कर्म से जुड़ाव ही नहीं बल्कि सारक्षरता के मामले में भी तकरीबन 40 हजार की आबादी वाला यह गांव काफी आगे हैं. इस गांव ने एक दो नहीं बल्कि कई आईएएस, आईपीएस देश को दिए हैं.
अभी हाल ही में इस गांव के सरोज झा को वर्ल्ड बैंक का सीनियर डायरेक्टर नियुक्त किया गया है. वह आईएएस अधिकारी है. इस गांव से आईआईटी जैसे संस्थान से पढ़ाई करने वाले इंजीनियरों की भी कमी नहीं है. वहीं अमेरिका , जैसे देश में रिसर्च करने वाले साइंटिस्टों की संख्या भी कई है.