विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश का एक ऐसा धाम भी है, जहां बाप्पा अपने भक्तों को विराट रूप में दर्शन देते हैं. इतना ही नहीं अपनी विशालकाय प्रतिमा की तरह ही गणपति अपने भक्तों के बड़े से बड़े दुख को भी हर लेते हैं और खुशियों का वरदान दे देते हैं. नागपुर के अदासा गणपति के दर्शन कर भक्तों का जीवन धन्य हो जाता है.
आस्था का ये वो सफर है जिसमें चढ़ाव ज्यादा है लेकिन, मंजिल तक पहुंचते-पहुंचते थकान गायब हो जाती है. यहां पहुंचकर शरीर ही नहीं मन भी शांत हो जाता है. प्रकृति के आंचल में हरियाली के बीच पहाड़ों पर बसा है बाप्पा का ये धाम. जहां बाप्पा की भव्य प्रतिमा और उनके मंदिर को देखकर लगता है जैसे किसी महल में कोई राजा बड़ी ही भव्यता के साथ विराजमान हो. ऐसा हो भी क्यों न अदासा गणपति की महिमा ही कुछ ऐसी है कि भक्त बरबस उनके इस धाम की ओर खिचें चले आते हैं.
अदासा गांव नागपुर से 50 कि.मी. दूर बसा है और इस गांव में पहाड़ियों के बीच विराजमान अदासा गणपति भक्तों का कल्याण करते हैं. अपने इस रूप में बाप्पा भक्तों की बड़ी से बड़ी समस्या का भी समाधान कर देते हैं और समस्त चिंताओं से मुक्ति दिलाते हैं. अदासा गणपति की ये प्रतिमा करीब 11 फीट ऊंची और 7 फीट चौड़ी है और स्वयंभू है जो एक ही पत्थर से निर्मित है.
मात्र दूर्वा चढ़ाने भर से बाप्पा अपने भक्तों की झोली खुशियों से भर देते हैं. बाप्पा की इस मूरत को देखने भर से भक्त अपना दुख भूल जाते हैं और मनचाहा वरदान मांग कर ले जाते हैं. माना जाता है कि चाहे जैसा भी संकट हो सिद्धि विनायक के दर्शन से मुश्किलों के पहाड़ कट जाते हैं और दुखों के बादल छंट जाते हैं. बात चाहे नौकरी की हो या सुख शांति की, संतान की कामना हो या हो अच्छे रिश्ते की आस, विनायक के दर्शन से पूरे हो जाते है सारे काम.
कहते हैं वामन अवतार में भगवान विष्णु ने भी बाप्पा के शमी गणेश रूप की अराधना की थी. गणपति जिस पर भी मेहरबान हो जाते हैं, उस पर सारी कृपा लुटा देते हैं. फिर चाहे वो राजा हो या रंक, संत हो या फकीर. भक्त हो या फिर भगवान. ये बात अदासा गणपति के दरबार में मत्था टेककर बखूबी समझी जा सकती है.
कहते हैं जब समुद्र मंथन के दौरान देवताओं को अमृत की प्राप्ति हुई और असुरों को पराजय का सामना करना पड़ा तब स्वर्ग पर अपना अधिपत्य स्थापित करने के लिए गुरु शुक्राचार्य के कहने पर राजा बलि ने अश्वमेघ यज्ञ करना आरंभ किया. राजा बलि को इस यज्ञ में सफल होने से रोकने के लिए भगवान विष्णु ने देवमाता अदिति के गर्भ से वामन अवतार के रूप में जन्म लिया और राजा बलि से 3 पग धरती की मांग की.
वामन पुराण के अनुसार जब वामन रूप में भगवान विष्णु राजा बलि के पास पहुंचे उससे पहले उन्होंने अदासा गांव के इसी स्थान पर भगवान गणेश की आराधना की थी. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने शमि के वृक्ष से प्रकट होकर भगवान वामन को दर्शन देकर अपना आशीर्वाद दिया और इसिलिए गणपति को यहां शमि गणेश के नाम से भी पुकारा जाने लगा.
हजारों साल पुरानी बाप्पा की इस प्रतिमा के दर्शन कर भक्त उनके दरबार में होने वाली आरती के गवाह बनते हैं. जो उनके जीवन में उम्मीदों की रोशनी भर देती हैं. इस दरबार में आने वाले हर भक्त की जुबान पर गणपति का नाम होता है और हर हृदय में बसते हैं एकदंत भगवान जिनकी एक झलक पाकर भक्त अपनी मुराद पूरी होने की फरियाद करते हैं.
वसंत पंचमी पर भगवान गणेश के जन्म का शानदार जश्न मनाया जाता है. उस समय देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां उमड़ पड़ते हैं. माना जाता है संतान की खुशियों से वंचित महिलाओं को यहां बाप्पा का विशेष वरदान मिलता है. विनायक दर्शन देकर भक्तों का जीवन ही सफल नहीं करते, उसकी इच्छाओं को पूरा कर जीवन की राह भी आसान बना देते हैं.