मनुष्य के लिए प्रेम और वैवाहिक रिश्ता पवित्र माना गया है. हमेशा मनुष्य यह सोचता है कि इन दो रिश्तों में वो कभी विफल न हो. आचार्य चाणक्य ने भी अपनी चाणक्य नीति में इस बात का उल्लेख किया है कि प्रेमी को कैसा होना चाहिए. चाणक्य के मुताबिक अपने रिश्ते में मिठास लाने और लम्बे समय तक उसे सफलता पूर्वक चलाने के लिए प्रेमी या पति में चार गुणों का होना आवश्यक है. आइए जानते हैं पुरुषों के उन 4 गुणों के बारे में...
> चाणक्य बताते हैं कि जो भी व्यक्ति महिलाओं (मां, बहन, बेटी और पत्नी) को सम्मान की नजर से देखता है और उनके महत्व को समझता है, वो अपने रिश्ते में कभी असफल नहीं हो सकता. प्रेमिका अपने प्रेमी के इस भाव को देखकर यह सोचती है कि अगर उसका पति या पार्टनर जब अन्य महिलाओं को इतना सम्मान देता है तो उसके लिए वो कितना करता होगा.
> चाणक्य ने एक प्रेमी में इस आदत को सबसे महत्वपूर्ण माना है. उनके मुताबिक अगर एक व्यक्ति प्रेमिका या पत्नी के अलावा किसी भी पराई महिला के प्रति आकर्षित नहीं होता और उसे गलत नजर से नहीं देखता तो वो जीवन भर अपने प्रेम को बचा पाने में सफल साबित होता है. ऐसा करने वाले प्रेमी के मन में दिखावा नहीं होता और ये गुण उसके रिश्ते में विश्वास पैदा करता है.
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> चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति पर प्रेमी या पत्नी को इतना विश्वास रहता है कि वो किसी भी हालत में उनकी सुरक्षा के लिए तैयार रहेगा तो उस रिश्ते में कभी खटास नहीं आती. प्रेमी या पत्नी की रक्षा करने वाला प्रेमी अपने रिश्ते में कभी असफल नहीं होता. हर पत्नी अपने पति में पिता की एक छाया देखती है. ऐसे में अगर पत्नी को सुरक्षा का भाव मिले तो वो आपके साथ हमेशा खुशी से रहती है.
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> आचार्य चाणक्य के मुताबिक प्रेम के रिश्ते में प्रेमिका या पत्नी की संतुष्टि अहम होती है. जो प्रेमी अपने पार्टनर को भौतिक सुख के साथ शारीरिक सुख प्रदान करता है वो अपने रिश्ते में खुशी बनाए रखने में कामयाब रहता है. चाणक्य कहते हैं कि प्रेमी को अपनी प्रेमिका के साथ कोमल स्पर्श रखना चाहिए.