आचार्य चाणक्य को एक कुशल अर्थशास्त्री माना गया है. उनकी नीतियां मनुष्य के जीवन को सुगम बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं. चाणक्य ने धर्म, संस्कृति, न्याय, अर्थ और राजनीति पर अपने विचार रखे हैं. ये विचार उनकी नीतियों में समाहित हैं. उनकी नीतियों में हर समस्या का समाधान मिलता है. चाणक्य के बताए रास्ते पर चलकर मनुष्य चुनौतियों पर आसानी से विजय पा लेता है. चाणक्य ने धन यानी पैसे को संरक्षित रखने और उसके सही इस्तेमाल को लेकर कई बातें कही हैं...
1. चाणक्य के मुताबिक धन का संचय बेहद जरूरी है. जो व्यक्ति बुरे समय के लिए पैसे को बचाकर रखता है वो बुद्धिमान कहलाता है. उसे संकट के समय में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता. वहीं जो भोग-विलासिता के कारण पैसों को पानी की तरह बहाता है वो बुरे समय में हाथ मलता रह जाता है. धन अर्थात लक्ष्मी को चंचल कहा गया है. एक समय ऐसा आता है जब एकत्रित किया हुआ पैसा भी नष्ट हो जाता है.
2. पैसा जीवन को संतुलित बनाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल साधन के रूप में करना चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि जिस धन के लिए धर्म त्यागना पड़े, दुश्मनों के आगे-पीछे घूमना पड़े, वैसे धन से लगाव नहीं रखना चाहिए.
3. चाणक्य के मुताबिक लोगों को ऐसे स्थान पर बिलकुल भी नहीं रहना चाहिए जहां उसका सम्मान न किया जाए. अनादर के साथ जीवन बिताने का मतलब मरने के समान है. साथ ही जहां व्यक्ति के लिए रोजगार और जीविका का साधन न हो उस जगह को तुरंत छोड़ देना चाहिए. यही नहीं, जहां मित्र, सगे-संबंधी न हों, शिक्षा की व्यवस्था न हो, उस जगह को भी छोड़ देना चाहिए.
4. चाणक्य कहते हैं कि धन अर्जित करने के लिए मनुष्य का लक्ष्य निर्धारित होना अत्यंत आवश्यक है. लक्ष्य निर्धारित नहीं होने पर सफलता कोसो दूर चली जाती है. इसलिए कभी भी अपनी योजनाओं की चर्चा किसी और से न करें. अपने काम पर ध्यान लगाकर आगे की ओर बढ़ना ही सफलता की कुंजी है.
5. चाणक्य ने धन को बचाने का सबसे बड़ा उपाय उसे खर्च करना बताया है. उनके मुताबिक जिस प्रकार तालाब या बर्तन में रखा पानी एक समय बाद खराब हो जाता है वैसे ही बिना प्रयोग वाला धन भी एक समय बाद काम में नहीं आता. इसलिए धन का प्रयोग दान, निवेश और सुरक्षा पर करते रहना चाहिए.