भरी दोपहर गूंज उठी आरती की लहर. आरती के लिए हर की पौड़ी पर सैकड़ों जोड़े हाथ उठ गए. नजारा वही जाना पहचाना बस समय बदल गया. अंधेरे की बजाय भरी दोपहर.
बता दें कि 27 जुलाई को सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण लगने वाला है, जिसके चलते हर की पौड़ी में दोपहर को ही गंगा आरती हो गई. समय से पहले आरती अब से पहले इसी साल 31 जनवरी को हुई थी. जब रात के पहले प्रहर में ही चंद्रग्रहण था.
सिर्फ हर की पौड़ी के गंगा मंदिर ही नहीं कनखल के दक्षेश्वर मंदिर और मायादेवी, पहाड़ पर स्थित चंडीदेवी और मनसा देवी के मंदिर में भी दोपहर को ही आरती कर कपाट बंद कर दिए गए. देवताओं को शयन करा दिया गया. अब इन मंदिरों की दिनचर्या शनिवार तड़के ब्रह्म मुहूर्त में शुरू होगी.
दशकों से हरिद्वार की पहचान हर की पौड़ी पर संध्या समय विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती होती है. लेकिन चंद्रग्रहण के कारण यहां दोपहर में ही आरती हो गई. क्योंकि ग्रहण सूतक शुरू होने से ठीक तीन प्रहर यानी नौ घंटे पहले लग जाता है.
हरिद्वार के तीर्थपुरोहितों की गंगा सभा के स्वागत मंत्री और हर की पौड़ी व्यवस्था के प्रभारी पंडित प्रदीप झा के मुताबिक, शास्त्रों के मुताबिक चंद्रग्रहण काल शुरू होने से करीब नौ घंटे पहले वातावरण पर उसका असर पड़ने लगता है. अल्ट्रा रेडिएशन का असर हमारे तन और मन पर पड़ता है. धातुओं के अलावा खाने पीने की चीज़ों पर भी असर होता है. लिहाज़ा उन पर कुशा घास या तुलसी के पत्ते रखते हैं. रही तन-मन की शुद्धि की बात तो तन की शुद्धि स्नान से, मन की शुद्धि जाप से और धन की शुद्धि दान से करने का विधान है.