चीनी अधिकारियों ने भारतीय श्रद्धालुओं को कैलाश मानसरोवर झील में डुबकी लगाने की इजाजत दे दी है. श्रद्धालुओं ने मंगलवार को मानसरोवर झील में डुबकी लगाई और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को शुक्रिया भी अदा किया.
मानसरोवर झील में श्रद्धालुओं समेत डुबकी लगाने के बाद पुजारी संजीव कृष्ण ठाकुर ने कहा, 'हमें आज पवित्र मानसरोवर झील में डुबकी लगाने का मौका मिल गया, मैं भारत सरकार और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का शुक्रिया अदा करता हूं.'
We were allotted a designated place to take holy dip in the Mansarovar Lake, today. I would like to thank the government of India and EAM Sushma Swaraj: Devotee Sanjiv Krishan Thakur who had alleged yesterday that Chinese authorities were not allowing them to take holy dip pic.twitter.com/p17WLi8jaU
— ANI (@ANI) May 29, 2018
इससे पहले संजीव ने श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ एक वीडियो में यह दावा किया था कि चीनी अधिकारी मानसरोवर झील में पवित्र डुबकी लगाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. उन्होंने गुस्से में सवाल भी किया था कि अगर अनुमति नहीं मिलनी थी तो श्रद्धालुओं को वीजा और परमिट क्यों जारी किए गए थे. पुजारी ने यह भी कहा था कि जब तक उन्हें झील में डुबकी लगाने की इजाजत नहीं मिल जाती तब तक वे वहां से नहीं हटेंगे.
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हालांकि सुषमा स्वराज ने इस दावे को खारिज कर दिया था और कहा था कि नदी में नहाने की हमेशा एक तय जगह होती है और आप कहीं भी डुबकी नहीं लगा सकते.
बता दें कि कैलाश मानसरोवर तिब्बत में है और बर्फीले रास्तों की यह यात्रा बहुत कठिन होती है. यह यात्रा 2 मार्गों से पूरी की जाती है. एक मार्ग है उत्तराखंड का लिपुलेख दर्रा और दूसरा रूट है सिक्किम का नाथू ला दर्रा.
भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से हर साल जून से सितंबर के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन किया जाता है. पिछले साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान नाथू ला दर्रा बंद था, जिस वजह से तीर्थयात्रियों को काफी मुश्किल हुई थी.
विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने जानकारी दी है कि इस बार कुल 1 हजार 580 तीर्थयात्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा करेंगे. इस साल तीर्थयात्रियों के 18 बैच बने हैं, और इनके दो वर्ग हैं. एक बैच में 60 तीर्थयात्री होंगे और वे लिपुलेख दर्रे के रास्ते से जाएंगे, जबकि 50 तीर्थयात्रियों वाले 10 बैच नाथू ला दर्रे से यात्रा पर जाएंगे.