अयोध्या में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच एक दूसरे को मात देने की होड़ लगी है. हिंदुओं के सबसे पवित्र शहर और देश में सबसे ज्यादा धार्मिक पर्यटकों को आकर्षित करने वाली नगरी अयोध्या के विकास के लिए बीजेपी नीत केंद्र सरकार और समाजवादी पार्टी (सपा) नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने एक दूसरे को पटखनी देने की तैयारी शुरू कर दी है.
एक ओर जहां बीजेपी के लिए अयोध्या उसके इतिहास और राजनीतिक भविष्य से जुड़ा है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार विकास परियोजनाओं को आधार बनाकर इसे भगवा खेमे से ‘छीनना’ चाहती है. केंद्र में अयोध्या का प्रतिनिधित्व बीजेपी के सांसद कर रहे हैं तो वहीं राज्य विधानसभा में सपा के विधायक कर रहे हैं.
चूंकि अयोध्या के विकास के लिए यहां पर करोड़ों रुपये बहाए जा रहे हैं, इसीलिए कोई भी यहां पर शिकायत करता हुआ नहीं दिखता. पुनरुद्धार का काम जारी है. देवकली मंदिर में 46.30 लाख रुपये, ज्वाला मंदिर में 55.67 लाख रुपये और हजरत इमाम शाह दरगाह में 7.87 लाख रुपये की लागत से पुनरुद्धार का कार्य जारी है.
कोरिया की महारानी हुह वांग-ओक के स्मारक को नया रूप देने के लिए यहां पर एक महत्वाकांक्षी खाका तैयार किया गया है. स्मारक का भारत के साथ गहरा नाता है. ऐसा माना जाता है कि रानी पहले अयोध्या की राजकुमारी थीं जो कर्क वंश की रानी बनने के लिए 2000 साल पहले समुद्र के रास्ते कोरिया गईं थीं.
राज्य सरकार ने भी जिले में कई परियोजनाओं की मेजबानी शुरू कर दी है, जैसे सरकारी पार्क का सौंदर्यीकरण, बैठने के लिए बेंचों की व्यवस्था और राजघाट पर पीने के पानी की व्यवस्था, राजकीय तुलसी उद्यान का सौंदर्यीकरण और वहां पर रोशनी की व्यवस्था, सत्संग भवन पर एक द्वार का निर्माण और 242.04 करोड़ रुपये की लागत से एक रैन बसेरा का निर्माण.
पर्यटक विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि 25.73 लाख रुपये की लागत से घाघरा-सरयू घाट पर कपड़े बदलने के लिए कमरों का निर्माण होना है. पांच स्थानों पर सार्वजनिक प्रसाधनों का भी निर्माण होना है, जिनकी कुल लागत 199.05 लाख रुपये है. सबसे बड़ी और महत्वकांक्षी परियोजना जल्द ही राज्य सरकार द्वारा शुरू होने वाली है. इस योजना में सरकार कम दामों पर बेड रूम उपलब्ध कराएगी.
उत्तर प्रदेश पर्यटन के महानिदेशक अमृत अभिजात ने बताया, ‘इनमें जल्द नहाने और कपड़े बदलने की सुविधा होगी, रात में रुकने की सुविधा होगी और कम दामों पर लॉकर उपलब्ध कराए जाएंगे.’ साथ ही उन्होंने कहा, ऐसा महसूस किया गया है कि कीमत के कारण स्थानीय पर्यटन को नुकसान हुआ है. 24 नवंबर से लखनऊ से अयोध्या के लिए एक निर्देशित यात्रा और सीधी बस सेवा शुरू होगी.
- इनपुट IANS