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dhanteras 2017 : पूजा की समाग्री और पूजन विधि

अगर आप धनतेरस की पूजा करने वाले हैं तो आज ये सारी पूजन की सामग्री जरूर घर ले आएं...

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धनतेरस पूजन विध‍ि और सामग्री
धनतेरस पूजन विध‍ि और सामग्री

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धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और सेहत की रक्षा और आरोग्य के लिए धन्वन्तरी देव की उपासना की जाती है. इस दिन यमराज की भी पूजा होती है. पूरे साल में यह अकेला ऐसा दिन है, जिस दिन यमराज की पूजा की जाती है और अकाल मृत्यु से रक्षा की कामना की जाती है.

ऐसी मान्यता है कि इस दिन विशेष विधि से धनतेरस की पूजा करने वाले लोगों को जीवनभर धन की कमी नहीं होती और मान व सम्मान बना रहता है.

पूजन की सामग्री

21 पूरे कमल बीज, मणि पत्थर के 5 प्रकार, 5 सुपारी, लक्ष्मी–गणेश के सिक्के (10 ग्राम या अधिक), अगरबत्ती, चूड़ी, तुलसी पत्र, पान, चंदन, लौंग, नारियल, सिक्के, काजल, दहीशरीफा, धूप, फूल, चावल, रोली, गंगा जल, माला, हल्दी, शहद, कपूर आदि

पूजन विधि

- संध्याकाल में उत्तर की ओर कुबेर तथा धन्वन्तरी की स्थापना करें.

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- दोनों के सामने एक-एक मुख का घी का दीपक जलाएं.

- कुबेर को सफेद मिठाई और धन्वन्तरि को पीली मिठाई चढ़ाएं.

- पहले "ॐ ह्रीं कुबेराय नमः" का जाप करें.

- फिर "धन्वन्तरि स्तोत्र" का पाठ करें.

- धन्वान्तारी पूजा के बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा करना अनिवार्य है.

- भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के लिए मिट्टी के दीप जलाएं. धुप जलाकर उनकी पूजा करें. भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के चरणों में फूल चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं. प्रसाद ग्रहण करें

- पूजा के बाद, दीपावली पर, कुबेर को धन स्थान पर और धन्वन्तरि को पूजा स्थान पर स्थापित करें.

यम का दीप भी जलाएं

- घर में पहले से दीपक जलाकर यम का दीपक ना निकालें. दीपक जलाने से पहले उसकी पूजा करें.

- किसी लकड़ी के बेंच पर या जमीन पर तख्त रखकर रोली के माध्यम से स्वस्तिक का निशान बनायें.

- फिर एक मिट्टी के चौमुखी दीपक या आटे से बने चौमुखी दीप को उस पर रखें.

- दीप के आसपास तीन बार गंगा जल का छिड़काव करें.

- दीप पर रोली का तिलक लगाएं. उसके बाद तिलक पर चावल रखें.

- दीप पर थोड़े फूल चढ़ाएं.

- दीप में थोड़ी चीनी डालें.

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- इसके बाद 1 रुपये का सिक्का दीप में डालें.

- परिवार के सदस्यों को तिलक लगाएं.

- दीप को प्रणाम करें.

- दीप को घर के गेट के पास रखें. उसे दाहिने तरफ रखें और यह सुनिश्चित करें की दीप की लौ दक्षिण दिशा की तरफ हो.

- चूंकि यह दीपक मृत्यु के नियन्त्रक देव यमराज के निमित्त जलाया जाता है, इसलिए दीप जलाते समय पूर्ण श्रद्धा से उन्हें नमन तो करें ही, साथ ही यह भी प्रार्थना करें कि वे आपके परिवार पर दया दृष्टि बनाए रखें और किसी की अकाल मृत्यु न हो.

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