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जहां अर्जुन ने भगवान शिव को किया था प्रसन्न

पश्चिम सिक्कम के लेगशिप में किरातेस्वर शिव मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है. इस जगह से भगवान शिव का कैलाश पर्वत नजदीक पड़ता है. इस मंदिर मे देश की हर जगह से भक्त शिव के दर्शन के लिए आते है.

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भगवान शिव में भक्तों की है गहरी आस्था
भगवान शिव में भक्तों की है गहरी आस्था

पश्चिम सिक्कम के लेगशिप में किरातेस्वर शिव मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है. इस जगह से भगवान शिव का कैलाश पर्वत नजदीक पड़ता है. इस मंदिर मे देश की हर जगह से भक्त शिव के दर्शन के लिए आते है.

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श्रावणी पूर्णिमा और बाला चतुर्दशी को काफी भक्त मंदिर में पूजा पाठ के साथ अपनी मनोकामना पूरी करने की कामना करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत युद्द के पहले पांडवो की प्रस्तुति के दौरान कृष्ण भगवान ने अर्जुन को शिवजी की आराधना और युद्द मे विजयी होने के लिए वरदान मांगने की सलाह हेतू रंगीत नदी के बगल मे शिव लिंग स्थापित करके भगवान शिव की आराधना करने के लिए कहा.

पराक्रमी अर्जुन ने कृष्ण के सलाह अनुसार लेगशिप मे शिव लिंग स्थापित कर भगवान शिव की आराधना शुरू की. कठोर अराधना के बाद भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने अर्जुन को परखने के लिए किरात वेश में माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत से प्रस्थान कर लेचूबीर जंगल होते हुए गुजर रहे थे. इतने मे ही एक जंगली बराह अर्जुन की और आक्रमण करने आ रहा था. उसी वक्त अर्जुन ने उस जंगली बराह पर अपना तीर से निशाना साधा. ठीक उसी समय भगवान शिव ने भी उस जंगली बराह को घायल कर दिया.

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जैसे ही अर्जुन ने उस शिकार पर अपना दावा किया. उसी वक्त किरात के वेश मे भगवान शिव ने भी उस शिकार पर अपना अधिकार जताया. इतने में ही दोनों में युद्ध शुरू हो गया. जैसे ही अर्जुन ने किरात वेश धारण किए, भगवान शिव पर बाण चलाया वैसे ही बाण लौट कर चला आया. इसे देखकर अर्जुन परेशान हो गए और भगवान शिव का ध्यान करने लगे. इतने में भगवान शिव ने अपना साक्षात दर्शन दिया और कहा कि मैं प्रसन्न हूं, बताओ तुम्हें, क्या वरदान चाहिए.

अर्जुन ने महाभारत युद्ध में विजय प्राप्त करने हेतू वरदान मांगा. भगवान शिव ने प्रसन्न होकर अर्जुन को परशुराम अस्त्र प्रदान किया. इस अस्त्र के दौरान पांडवों ने महाभारत युद्ध मे विजय प्राप्त की. इस मंदिर में बौद्ध धर्म के बिस्वासी लोग भी इस मंदिर मे अपनी मन की मनोकामना पूरी करने आते है.

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