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रूद्राभिषेक से बरसेगी भक्‍तों पर भोले की कृपा

भोले में सारी दुनिया समायी है. जगत के कण-कण में महादेव का वास है, तभी तो महादेव हर रूप में भक्तों का कल्याण करते हैं. आप चाहे महादेव की प्रतिमा की पूजा करें या फिर लिंग रूप उनकी आराधना, महादेव की कृपा अपने हर भक्‍त पर बरसती है.

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भोले में सारी दुनिया समायी है. जगत के कण-कण में महादेव का वास है, तभी तो महादेव हर रूप में भक्तों का कल्याण करते हैं. आप चाहे महादेव की प्रतिमा की पूजा करें या फिर लिंग रूप उनकी आराधना, महादेव की कृपा अपने हर भक्‍त पर बरसती है.

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धरती पर शिवलिंग को शिव का साक्षात स्वरूप माना जाता है तभी तो शिवलिंग के दर्शन को स्वयं महादेव का दर्शन माना जाता है. इसी मान्यता के चलते भक्त शिवलिंग को मंदिरों और घरों में स्थापित कर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं. यू तो भोले-भंडारी एक छोटी सी पूजा से ही प्रसन्न हो जाते हैं. लेकिन शिव आराधना की सबसे महत्वपूर्ण पूजा विधि रूद्राभिषेक को माना जाता है.

मान्यता है कि जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और उसी से रूद्राभिषेक की उत्पत्ति हुई है. रूद्र यानी भगवान शिव और अभिषेक का अर्थ होता है स्नान करना. शुद्ध जल या फिर गंगाजल से महादेव के अभिषेक की विधि सदियों पुरानी है क्योंकि मान्यता है कि भोले भंडारी भाव के भूखे हैं, जो जल के स्पर्श मात्र से ही प्रसन्‍न जाते हैं. रूद्राभिषेक वो पूजा विधि है, जिससे भक्तों को शिव का वरदान ही नहीं मिलता बल्कि हर दर्द, हर तकलीफ से भी छुटकारा मिल जाता है.

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साधारण रूप से भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है, ले‍किन विशेष अवसरों व विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों के तेल, काले तिल आदि कई सामग्रियों से महादेव के अभिषेक की विधि प्रचलित है. मान्यता है कि अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक होता है.

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