कार्तिक मॉस कृष्ण पक्ष अष्टमी को अहोई अष्टमी मनाई जाती है. अहोई माता को स्याऊ माता भी कहते हैं. सैकड़ों साल बाद ग्रह नक्षत्रों का बहुत अच्छा संयोग बना है. जो माताएं अहोई अष्टमी व्रत कर अहोइ माता की पूजा करेंगी, उनको अच्छे संतान का सुख मिलेगा. संतान को राज योग मिलेगा.
क्या है ग्रह नक्षत्र का शुभ संयोग
गुरु का गुरुवार है और गुरू संतान का कारक होता है. गुरु का ही नक्षत्र पुनर्वसु है, गुरु तुला राशि में है.
गुरु से केंद्र में कर्क राशि में चन्द्रमा है. गजकेसरी राजयोग बना रहा है. होइ माता की पूजा से संतान को राजयोग मिलेगा.
महिलाएं अपने बच्चों की रक्षा के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. निःसंतान महिलाएं संतान पाने के लिए व्रत करती हैं . स्याउ माता की पूजा होती है. दीवार पर बनाएं स्याउ माता और बच्चे की चित्र बनाकर पूजा करती हैं.
आठ कोणों वाली पुतली बनाएं.
लाल सिंदूर से पुतली बनाएं.
पुतली के पास स्याउ माता होती हैं.
अगल-बगल छोटे बच्चे बनाएं जाते हैं.
माताएं बिना अन्न जल ग्रहण किए स्याउ माता की पूजा करती है.
महिला और उनके बच्चे स्याउ माता के पास इकट्ठे बैठें. माता और बच्चों को सिंदूर का तिलक लगाएं.
बच्चों के हाथ में कलावा बांधें. धूप दीपक जलाएं. सबसे पहले लाल फूल से पूजा करें
माता को हलवा पूड़ी और चने की सब्जी का भोग लगाया जाता है. कपूर से माता की आरती उतारें. माता से संतान मांगे या संतान की दीर्घाऊ की कामना करें. संतान के लिए राजयोग मांग लें. माता जरूर देंगी. फिर सभी प्रणाम करें. बच्चों को हलवा पूड़ी और सब्जी का प्रसाद बांटें.
बच्चों की मां रात को चन्द्रमा और तारों को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलती हैं .
अहोई माता की कथा
चंपा और चमेली दो सहेलियां थीं. दोनों पड़ोसी थीं. दोनों को संतान नहीं थी. चंपा को एक बूढ़ी माता ने संतान के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखने की सलाह दी. चम्पा ने व्रत रखा तो उसके देखा देखी चमेली ने भी व्रत रख लिया.
सपने में माता ने दोनों को दर्शन देकर पूछा- बोलो क्या चाहिए.
चमेली ने सीधे पुत्र की मांग की. चंपा ने माता से कहा हे माता आप सर्व ज्ञानी हैं, मैं आपसे क्या मांगू. माता ने कहा कि बगल के बाग में बच्चे खेल रहे हैं. दोनों एक एक बच्चा पकड़ लाओ. जो बच्चा पकड़ लाएगा उसी को संतान दूंगी.
चम्पा ने बच्चा पकड़ना चाहा तो बच्चा रोने चिल्लाने लगा. चम्पा को दया आ गई, उसने बच्चे नहीं पकड़ा और खाली हाथ आ गई.
चमेली ने एक बच्चा पकड़ लिया और रोते हुए बच्चे को बाल पकड़कर माता के पास लाई.
माता ने चम्पा का बच्चों के प्रति प्यार और वात्सल्य देखकर संतान होने का वरदान दिया और चमेली का बच्चों के प्रति खराब रवैया और खराब व्यवहार देखकर उसको संतान ना होने का शाप दिया.