दुर्गा पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन का विशेष महत्व होता है. आमतौर पर मूर्ति विसर्जन दो से चार घंटे में संपन्न हो जाता है, लेकिन बिहार के दरभंगा जिले के जाले गांव में जलेश्वरी मंदिर में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन में 24 घंटे लग जाते हैं. वो भी महज लगभग एक किलोमीटर की दूरी तय करने में.
दरअसल, जलेश्वरी मंदिर में 1960 से होने वाली दुर्गा पूजा में लोगों की असीम श्रद्धा है. लोगों की मानें तो यहां हर मनोकामना पूरी होती है.
यही वजह है की यहां के लोग न सिर्फ पूजा धूम धाम से करते है, बल्कि मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन भी पूरी उत्साह के साथ करते हैं.
हजारों की संख्या में लोग मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन में भाग लेते हैं, इसमें महिलाएं भी खूब बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हैं. साथ ही पूरे रास्ते कुछ महिलाएं माथे पर गरबा, जिसे मां का रूप मानते हैं, रखकर पारंपरिक झिझिया खेलते जाती हैं.
भीड़ ऐसी मानो पांव रखने की जगह नहीं होती. मां की भक्ति में सभी ऐसे लीन रहते हैं कि कब इतना वक्त निकल जाता है, किसी को पता ही नहीं चलता.
देखते ही देखते दिन में निकली विसर्जन लगातार चलने के बाद भी एक रात और पूरा दिन लग जाने के बाद ही विसर्जन हो पाता है.
पंडाल से विसर्जन की जगह सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर है. लेकिन विसर्जन करने जा रहे लोगों की रफ्तार सिर्फ कुछ मीटर प्रति घंटा ही होती है.
दरअसल, जगह-जगह प्रतिमा को रोक कर महिलाएं पूजा करती हैं, झीझिया खेलती हैं. इसलिए मूर्ति विसर्जित करने के स्थान तक पहुंचाने में 24 घंटे से ज्यादा वक्त लग जाता है. आमतौर पर हर साल इसमें 24 से 36 घंटे लगते हैं.
पिछले वर्ष भी यहां की प्रतिमा विसर्जन में 34 घंटे लगे थे.