इस बार शारदीय नवरात्रि 21 सितंबर को शुरू हो रहा है. सबसे खास बात यह है कि इस बार नवरात्रि नौ दिनों की ही होगी.
ज्योतिषाचार्य शैलेंद्र पांडेय के अनुसार 21 सितंबर को कलश की स्थापना आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है. इस बार प्रतिपदा प्रातः 10.34 तक रहेगी. अतः प्रातः 10.34 के पूर्व ही कलश की स्थापना कर लें. इसमें भी सबसे ज्यादा शुभ समय होगा प्रातः 06.00 से 07.30 तक कलश स्थापना.
नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा होती है. शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया है. मां शैलपुत्री दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प लिए हुए हैं. इनका वाहन वृषभ है. नवदुर्गाओं में मां शैलपुत्री का महत्व और शक्तियां अनन्त हैं.
यूं तो वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्रि हर साल बहुत खास होते हैं, लेकिन इस बार 21 सितंबर से प्रारंभ होने जा रहे नवरात्रि हस्त नक्षत्र में शुरू होंगे, इसलिए अपने आप में बहुत बेहतरीन संयोग है.
हस्त नक्षत्र में घट स्थापना का महत्व
इस बार नवरात्रि हस्त नक्षत्र में शुरू हो रहा है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि अगर हस्त नक्षत्र में आए तो उसका विशेष महत्व होता है. इस तरह से यह नवरात्रि विशेष शुभकारी है. सुबह 10 बजे तक पूरे पूरे विधि-विधान से की गई पूजा-अर्चना के साथ घट की स्थापना लाभकारी होगी. इससे परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ेगी और साथ ही बीमारियां और कष्ट दूर होंगे.
पिछली बार नवरात्रि दस दिनों की थी. कई बार दो तिथियां एक ही दिन होने के कारण नवरात्रि आठ दिनों की भी हो जाती है. लेकिन इस बार नवरात्रि नौ दिनों की ही है और 10वें दिन विजयदशमी मनाई जाएगी. यह एक शुभ संयोग है.