धर्म ग्रंथों में होलाष्टक के 8 दिन मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माने जाते हैं, इसके पीछे कई मान्यताएं हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की तपस्या भंग करने की कोशिश करने पर भोलेनाथ से कामदेव को फाल्गुन महीने की अष्टमी को भष्म कर दिया था. प्रेम के देवता काम देव के भष्म होते ही पूरे संसार में शोक की लहर फैल गई थी. तब कामदेव की पत्नी रति ने शिवजी से क्षमा याचना की और भोलेनाथ ने कामदेव को फिर से जीवित करने का आश्वासन दिया. इसके बाद लोगों ने रंग खेल कर खुशी मनाई थी.
आज से शुरू हो रहा है होलाष्टक, जानें क्यों माना जाता है अशुभ...
कुछ ग्रंथों में वर्णन मिलता है कि होली के 8 दिन पहले से प्रहलाद को उसके पिता हिरण्यकश्यप ने काफी यातनाएं देनी शुरू कर दी थी और आठवें दिन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठा कर मारने का प्रयास किया था. लेकिन आग में ना जलने का वरदान पाने वाली होलिका जल गई थी और बालक प्रह्लाद बच गया था. ईश्वर भक्त प्रह्लाद के यातना भरे 8 दिनों को शुभ नहीं माना जा है. इसलिए कोई भी शुभ काम ना करने की परंपरा है.
कौन से कार्य ना करें
किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त का होना बहुत जरूरी होता है. इससे उस कार्य के सफल होने की संभावना और बढ़ जाती है. इसलिए शुभ कार्य जैसे शादी, गृहप्रवेश, नया व्यापार शुरू करना इत्यादि होलाष्टक में नहीं करना चाहिए.
कौन से कार्य कर सकते हैं
ऐसे कार्य जो हमारे लिए बहुत जरूरी हों या जन्म और मृत्यु से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं. होलाष्टक का प्रचलन उत्तर भारत के पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में ज्यादा है. बाकी दूसरे प्रदेशों में इसका विशेष विचार नहीं किया जाता है.
होलाष्टक का समय मौसम के बदलने का समय होता है सर्दी जा रही होती है और गर्मी का मौसम दस्तक दे रहा होता है मौसम बदलने के इस क्रम में मन और शरीर पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है ऐसे समय में महत्वपूर्ण निर्णय लेने से या मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए होलिका दहन के साथ ही सारे विकार नष्ट हो जाते हैं, आसमान में उड़ते गुलाल, रंग, अबीर, मन में नई उल्लास पैदा करते हैं. तब होली के बाद आप प्रसन्न मन से सही फैसले और अहम कार्य कर सकते हैं. इसलिए यदि कोई काम बहुत जरूरी ना हो तो थोड़ा रुक जाएं होली के बाद शुरू करें आपको अवश्य सफलता मिलेगी.