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कुंभ के रंग फैशन बाला, ट्विटर व फेसबुक बाबा के संग

आपने अभी तक रैंप पर ही फैशन का जलवा देखा होगा, जहां मॉडल अलग-अलग तरीके के देशी और विदेशी अत्याधुनिक परिधानों की नुमाइश करते नजर आते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश की प्रयाग नगरी में सजे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुंभ में आपकी यह मुराद बिन पैसे की ही पूरी हो जाएगी. बस आपको यहां आने की जरूरत है.

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महाकुंभ के रंग
महाकुंभ के रंग

आपने अभी तक रैंप पर ही फैशन का जलवा देखा होगा, जहां मॉडल अलग-अलग तरीके के देशी और विदेशी अत्याधुनिक परिधानों की नुमाइश करते नजर आते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश की प्रयाग नगरी में सजे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुंभ में आपकी यह मुराद बिन पैसे की ही पूरी हो जाएगी. बस आपको यहां आने की जरूरत है.

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महाकुंभ में विदेशी मेहमानों का इस कदर जमावड़ा है कि देशी मेहमान तो उनके फैशन के दीवाने हो गए हैं. धर्म के इस देशी बाजार में विदेशी फैशन का तड़का यहा आने वाले श्रद्धालुओं के अलावा बाबाओं के भी सिर चढ़कर ही बोल रहा है.


दुनिया के इस सबसे बड़े मेले में जहां देसी रविशंकर बाबा हैं तो दूसरी ओर पायलट बाबा और रूसी बाबा. इन बाबाओं के आश्रमों के बाहर काफी लंबी भीड़ देखी जा रही है. इन आश्रमों में रह रहे विदेशी भक्त खाते तो देशी भोजन हैं लेकिन जब मेले में निकलते हैं तो अपने फैशन से नागा साधुओं को भी मात देते नजर आ रहे हैं.

अलग-अलग परिधानों और पाश्चात्य आधुनिकता को भी यह दिखाने से पीछे नही हैं. रूस से आई कैरोलीन यहां मौजूद रूसी बाबा के पंडाल में ठहरी हुई हैं. भोजन तो जमीन पर बैठकर करती हैं लेकिन जब बाहर निकलती हैं तो इनकी हेयर स्टाइल और पोशाक लोगों के आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं.

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कैरोलीन टूटी-फूटी हिंदी भी बोल लेती हैं. वह कहती हैं, ‘आप नागा संतों को देखिए, उनका पहनावा अलग है. यहां हर एक साधु-संत के अलग-अलग रूप रंग हैं. इंडियन साधु अपने देश की संस्कृति को फॉलो कर रहे हैं तो हम अपने पहनावे के साथ ही इसमें घुलने-मिलने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन अच्छा है, यहां काफी मजा आ रहा है.’

महाकुम्भ नगरी में आस्था के साथ आधुनिकता का भी काफी बोलबाला है. विदेशी मेहमानों के पहनावे से पूरे संगम में आधुनिकता की एक अलग ही झलक दिखाई दे रही है. चाहे बाबाओं की महंगी-महंगी गाड़ियां हों या फिर जींस और टॉप पहने विदेशी महिलाएं. महंगे रथों पर सवार महामंडेलश्वर हों या फिर संगम तट पर आधुनिक परिधानों में टहलती विदेशी महिलाएं.

यहां अपने आपको कोई पायलट बाबा कहता है तो कोई ट्विटर बाबा तो कोई फेसबुक बाबा. विदेशी बाबाओं को कोई नाम नहीं सूझ रहा तो अपने आपको रूसी और आस्ट्रेलियन बाबा बता रहे हैं. यानी देशी बाबाओं की छाप विदेशी बाबाओं पर बखूबी पड़ती दिखायी दे रही है.


ट्विटर बाबा कहते हैं, ‘देश में लोग पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण करते हैं लेकिन आपको यहां आकर ऐसा महसूस हुआ होगा कि विदेशों से आए मेहमान अपने आपको यहां बाबा कहलाने से भी नहीं हिचकते.’

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ट्विटर बाबा के नाम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आजकल इंटरनेट का जमाना है और अपने भक्तों से जुड़े रहने का सबसे सरल माध्यम है. ट्विटर भक्तों से ऑनलाइन बात हो जाती है.

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