गणेश चतुर्थी यानी वो दिन जब लंबोदर ने जन्म लिया था. यह दिन गणपति की प्रतिष्ठा के लिए होता है बेहद शुभ और वो दिन जब विनायक की विधि विधान से पूजा कर ली जाए, तो धन संपदा, कामयाबी और खुशियां, छप्पर फाड़ कर बरसने लगती हैँ.
11 सितंबर को चंद्र, मंगल एक राशि यानी तुला में आ रहे हैं और शुभ योग बना रहे हैं, जहां पहले से ही शुक्र अपनी राशि में मौजूद हैं यानि चंद्रमा और शुक्र के असर से मंगल के सारे विपरीत प्रभाव खत्म हो जाएंगे. वहीं दूसरी ओर मालव्य पंचमहापुरुष योग भी बनाएंगे. ये वो योग होता है जो दोगुना फल देने वाला होता है. अत्यधिक शुभ होता है.
पंडितों का कहना है कि ये योग तभी बनता है जब शुक्र, बुध, बृहस्पति, मंगल, शनि इन पांच ग्रहो में से कोई एक अपनी राशि में या अपनी ऊच्च राशि में चंद्रमा के साथ या चंद्रमा से केंद्र में आ जाए. अगर ग्रह स्थिति पर एक नजर डालें तो चंद्रमा और शुक्र गणेशोत्सव के दिन तुला राशि में आ जाएंगे जबकि सूर्य पहले से ही अपनी राशि सिंह में बुध के साथ हैं. देवगुरू बृहस्पति भी अपनी ही राशि मीन में मौजूद हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि देवगुरू बृहस्पति, गणेश के गुरू भी हैं और उनका अपनी राशि में होना गणेश पूजा को औऱ ज्यादा फलदायी बना देता है.
यही नहीं 150 साल बाद आये इस योग से संतान के विवाह में आ रही बाधाएं खत्म हो जाएंगी. मालव्य योग के चलते जवाहरात से जुड़े लोगों की समस्याएं खत्म हो जाएंगी. व्यापार चमक उठेगा, बीमारियों से पीछा छूटेगा. गणेश चतुर्थी के दिन रवियोग का विशेष संयोग बनेगा. साथ ही बुध, शनि और गुरु अपनी उच्चराशि कन्या, तुला और कर्क में रहेंगे. शुभ संयोग श्रद्धालुओं और व्यापारियों के लिए सुख-समृद्धिकारक रहेगा. चतुर्थी पर शुक्रवार को श्रेष्ठ संयोग बन रहा है. यह संयोग क्रय-विक्रय के लिए सुख-समृद्धिकारक रहेगा.
रवियोग का बनना और शुक्रवार को चतुर्थी होना वाहन, मशीनरी और प्रॉपर्टी, भवन-भूमि के क्रय-विक्रय, नया व्यापार आरंभ के लिए शुभकारी रहेगा. इस दिन दोपहर 11:13 से 1:44 तक गणेश पूजन करना और वस्तुओं की खरीद श्रेष्ठ रहेगी. चौघड़िया के अनुसार खरीद के मुहूर्त में सुबह 6:08 बजे से सुबह 10:53 मिनट पर लाभ, अमृत के चौघड़िया में व्यापार आरंभ, प्रॉपर्टी खरीद, भूमि पूजन, वाहन क्रय शुभ रहेगा.
तीन ग्रहों का उच्च राशि में संयोग इससे पहले 11 सितम्बर 1983 को बना था. इसके बाद 5 सितम्बर 2073 में यह योग बनेगा. इसमें बुध का कन्या में, गुरु का कर्क में तथा शनि का तुला में प्रवेश होगा. खरीद का इस दिन शुभ संयोग बनने से श्रद्धालुओं और व्यापारियों के लिए सुख-समृद्धिकारक रहेगा. ज्योतिषाचार्यों और पंडितों के अनुसार गणेश चतुर्थी पर चार ग्रहों की शुभ स्थिति के अलावा शुक्रवार को श्रेष्ठ संयोग बन रहा है. जो 1955 के बाद इस वर्ष बन रहा है. इसमें क्रमश: शनि तुला राशि में, गुरु कर्क में रहेंगे.
सूर्य और बुध अपनी राशि सिंह और कन्या में रहेंगे.यह संयोग क्रय-विक्रय के लिए सुख-समृद्धिकारक रहेगा. रवियोग का इस दिन बनना और शुक्रवार को चतुर्थी होना वाहन, मशीनरी और प्रॉपर्टी, भवन-भूमि के क्रय-विक्रय, नया व्यापार आरंभ के लिए शुभकारी रहेगा.