गणपति की छोटी सी पूजा आपको कुंडली दोषों से छुटकारा दिला सकती है. इनकी पूजा से शनि कभी भी आपको परेशान नहीं करेंगे. साथ ही मंगल जैसे ग्रहों के दोषों से भी छुटकारा मिल जाता है.
नागपुर में बाप्पा का ऐसा ही एक दरबार सजता है. नागपुर के टेकड़ी विनायक की ऐसी दिव्य और स्वयंभू प्रतिमा जो शायद ही संसार में कहीं और देखने को मिले.
गजानन की यह दुर्लभ मूर्ति पीपल के पेड़ की जड़ से निकली है. यानी इस पावन स्थान पर गणपति तो मौजूद हैं ही साथ ही पीपल के पेड़ के रूप में भगवान विष्णु भी वास करते हैं.
वैसे तो हर पूजा की शुरूआत गणपति की अराधना से होती है लेकिन नागपुर के टेकड़ी में गणपति के साथ-साथ विष्णु की भी पूजा करनी होती है. यानी यहां आने वाले भक्तों को एक परिक्रमा करने से दो देवताओं की पूजा का फल मिल जाता है. मान्यता है कि गणेश और भगवान विष्णु की एक साथ पूजा करने से शनि के सारे कष्ट भी दूर हो जाते हैं. यही वजह है कि चारों पहर यहां भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है.
वैसे स्वयंभू गणपति की ये प्रतिमा यहां प्रकट हुई कैसे, इस बारे में लोगों को कोई जानकारी तो नहीं है लेकिन इतना पता है कि गणेश की ये प्रतिमा सैकड़ों साल पुरानी है. और सबसे खास बात ये कि गणपति के इस दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटा है. यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.
अपने पिता भगवान शंकर की तरह भोले गणेश भी थोड़ी सी पूजा से प्रसन्न हो जाते हैं. और अगर सारे दुखों को हरने वाली संकष्टी चतुर्थी का मौका हो तो फिर गणपति अपनी कृपा जरूर बरसाते हैं.
टेकड़ी गणपति की दिन में चार बार आरती होती है जो यहां खास आकर्षण का केंद्र होती है. इस आरती में हर जाति धर्म के लोग हिस्सा लेते हैं और एक साथ तीन देवताओं की कृपा पाकर खुद को धन्य मानते हैं.