नवरात्र में हर ओर जय माता दी की गूंज सुनायी दे रही है, पूरा देश माता की भक्ति में डूबा हुआ है. मध्य प्रदेश के सीहोर सलकनपुर में विराजी मां विजयासन भव्य रूप में दर्शन देकर भक्तों का हर दुख हर लेती हैं. 14 सौ सीढ़ियों का सफर तय कर भक्त माता के दरबार पहुंचते हैं और अपने हर दुख का समाधान पा लेते हैं.
मां के इस दरबार में भक्त की कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं रहती, राजा हो या रंक, मां सभी पर एक समान कृपा बरसाती हैं. भक्तों के बढ़ते हुए कदम जैसे ही इस धाम की परिधि को छूते हैं पूरा शरीर मानो मां भगवती की शक्ति से भर उठता है, क्योंकि ये वो जगह है जहां मां विजयासन सुंदर पहाड़ पर अपने परम दिव्य रूप में आसिन हैं. जगत जननी का ये वो धाम है जो जगत भर में सलकनपुर वाली मां विजयासन के नाम से प्रसिद्ध है.
सलकनपुर में विराजी सिद्धेश्वरी मां विजयासन की ये स्वयंभू प्रतिमा माता पार्वती की है जो वात्सल्य भाव से अपनी गोद में भगवान गणेश को लिए हुए बैठी हैं. इसी मंदिर में महालक्ष्मी, महासरस्वती और भगवान भैरव भी विराजमान हैं यानी इस एक मंदिर में कई देवी-देवताओं के आशीर्वाद का सौभाग्य भक्तों को प्राप्त होता है.
पुराणों के अनुसार देवी विजयासन माता पार्वती का ही अवतार हैं, जिन्होंने देवताओं के आग्रह पर रक्तबीज नामक राक्षस का वध कर संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी. देवी विजयासन को कई भक्त कुल देवी के रूप में पूजते हैं. मां जहां एक तरफ कुंवारी कन्याओं को मनचाहे जीवनसाथी का आशीर्वाद देती हैं. वहीं संतान का वरदान देकर भक्तों की सूनी गोद भर देती हैं. तभी तो देवी के इस धाम का महत्व किसी शक्तिपीठ से कम नहीं हैं.