ब्रह्मा नगरी पुष्कर में एक शख्स की भक्ति का अनूठा उदाहरण देखने को मिला है. एकाग्र होकर भगवान को याद कर पुष्कर की मिट्टी के पवित्र धोरों पर कलाकर अजय रावत
दो दिन और दो रात से हनुमान चालीसा लिखने में लगे हुए हैं.
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पुष्कर में पहाड़ों के नीचे रेत की चादर बिछी है और उस पर लाल रंग से एक कलाकार लगातार लिखता जा रहा है. पूरा इलाका लाल शब्दों में तब्दिल हो गया है. मिट्टी के धोरों में अपनी कला का हुनर का लोहा मनवाने वाले कलाकर अजय बड़े-बड़े अक्षरों में हनुमान चालीसा लिखने में व्यस्त है.
हनुमान चालीसा लिखने के लिए रविवार रात से ही पुष्कर से दूर चामुंडा माता मंदिर के पास स्थित धोरों में अजय लगे हुए हैं. अजय ने लाल गुलाल से हनुमान चालीसा
लिखकर पूरे इलाके को लालव कर दिया है.
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इस हनुमान चालीसा को लिखने के लिए चार कट्टे (बोरे) लाल गुलाल के मंगाए हैं. अब तक आधी से ज्यादा हनुमान चालीसा अजय ने लिख दी है. कल हनुमान जयंती तक यह
चालीसा पूरी हो जायेगी. इसके लिए सोमवार की रात को हीं लिखने का कार्य पूरा कर लिया जायेगा. हनुमान जयंती पर भक्त लोग इसके दर्शन कर सकते है.
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हनुमान चालीसा लिखनेवाले कलाकार अजय रावत कहते हैं कि भक्ति में शक्ति है. आज कल लोग भगवान के सामने पांच मिनट भी चैन से नहीं बैठते हैं. जबकि मुझे पवित्र भूमि पर पवित्र हनुमान चालीसा लिखने में कई घंटें लगे, लेकिन मुझे थकावट नहीं हुई. मैं मिट्टी पर हनुनान चालीसा लिखकर हनुमान जयंती पर बल बुद्धि के दाता हनुमान की महिमा भगवान हनुमान को भेंट करना चाहता है.