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विरासत के दर्जे की बाट जोहता वृंदावन

अपनी अनूठी समृद्ध परंपरा और भौतिक संपदा के संरक्षण के लिए भगवान कृष्ण की यह नगरी आज भी विरासत के दर्जे के लिए तरस रही है. दुनिया का सबसे ऊंचा निर्माणाधीन कृष्ण मंदिर, अनगिनत धार्मिक मंदिर, जंगल और ऐतिहासिक पवित्र तलाब देखने हर वर्ष यहां लाखों लोग आते हैं.

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कृष्ण बलराम की मूर्ति
कृष्ण बलराम की मूर्ति

अपनी अनूठी समृद्ध परंपरा और भौतिक संपदा के संरक्षण के लिए भगवान कृष्ण की यह नगरी आज भी विरासत के दर्जे के लिए तरस रही है. दुनिया का सबसे ऊंचा निर्माणाधीन कृष्ण मंदिर, अनगिनत धार्मिक मंदिर, जंगल और ऐतिहासिक पवित्र तलाब देखने हर वर्ष यहां लाखों लोग आते हैं.

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गैर सरकारी संस्था ब्रज फाउंडेशन के रजनीश कपूर ने कहा, ‘ब्रज मंडल स्थित सैकड़ों पवित्र तालाब और वृक्ष कृष्ण और राधा की अठखेलियों के गवाह हैं. दुनियाभर में मौजूद करोड़ों भक्त इन्हें श्रद्धा की दृष्टि से देखते हैं तथा इसकी पूजा करते हैं. विरासत का दर्जा देकर इनके अस्तित्व को बचाने की जरूरत है.’ सामाजिक कार्यकर्ता राकेश हरिप्रिय ने कहा, ‘कई पुस्तकों में वृंदावन की चर्चा ब्रज के केंद्र के रूप में की गई है। 117 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले वृंदावन में मौजूद अधिकांश गांवों, जलाशयों और स्थलों के जीवंत परंपराओं की चर्चा स्थानीय लोकगीतों में की गई है, जो श्रीमद् भागवत से जुड़ी है.’ हर वर्ष लाखों की संख्या में दुनिया भर के वैष्णव वृंदावन आते हैं और कृष्ण तथा राधा से जुड़े मंदिरों की परिक्रमा करते हैं. मथुरा-वृंदावन-गोवर्धन सर्किट में हर वर्ष दर्जनों मेलों और उत्सवों का आयोजन होता है, जिसमें लाखों तीर्थयात्री आते हैं. अनुमान के मुताबिक, इनकी संख्या आठ लाख से 80 लाख के बीच है.

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गोपी वल्लभ नामक पंडा ने कहा, ‘हर महीने लाखों की संख्या में तीर्थयात्री गोवर्धन परिक्रमा करते हैं.’

एनजीओ फ्रेंड्स ऑफ वृंदावन के संयोजक जगन नाथ पोद्दार ने कहा, ‘वृंदावन में सालाना 80 लाख तीर्थयात्री आते हैं, जो ब्रज की भक्ति विरासत का जीवंत प्रदर्शन है. ये तीर्थयात्री गोवर्धन पर्वत की 21 किलोमीटर लंबी परिक्रमा सहित कई तरह की अनूठी और दिल को छू जाने वाली गतिविधियां करते हैं.’ ब्रज विधान हेरिटेज अलायंस (वीव्हीएचए) के संयोजक मधुमंगल शुक्ला ने कहा, ‘कला-संस्कृति में भी इस क्षेत्र का विशेष दखल है. इस इलाके में हवेली संगीत, समाज गायन, रास लीला संगीत की प्रमुखता है, जबकि चाराकूला नृत्य यहां बेहद प्रचलित है. साहित्य की बात करें, तो ब्रजभाषा में हिंदी साहित्य को महान कवियों रसखान और सूरदास ने समृद्ध किया है.’

भारत के सभी दार्शनिक स्कूलों के आश्रम वृंदावन में हैं, जो इसे भारत में मौजूद किसी अन्य तीर्थस्थल की तुलना में हिंदू दर्शन का प्रमुख केंद्र बनाता है. वृंदावन और ग्रेटर ब्रज में प्रेम से प्रेरित कई वास्तुशिल्प मौजूद हैं. वृंदावन और ब्रज राजकीय संरक्षण का भव्य इतिहास समेटे हुए है. महामंत्र या गोविंदा के रूप में कृष्ण का नाम दुनिया का सबसे ज्यादा रिकॉर्डेड और सबसे ज्यादा बार सुना गया संगीत है.

पोद्दार ने कहा, ‘उम्मीद है मथुरा की सांसद हेमा मालिनी इस मुद्दे पर ध्यान देंगी और जल्द ही बदलाव देखने को मिलेंगे. ब्रज इलाके के विकास के लिए राज्य सरकार पहले ही अलग से एक समिति का गठन कर चुकी है.’ पोद्दार ने यह भी कहा कि इस दिशा में हालांकि किसी भी स्तर पर प्रयास नहीं हुआ है जबकि वृंदावन की जो समृद्ध विरासत है, उसे देखते हुए ऐसा बहुत पहले किया जाना चाहिए था. उन्होंने ने कहा, ‘वृंदावन के गांव उजड़ रहे हैं. यहां की संस्कृति भूमि माफियाओं के हाथों मर रही है. स्थानीय लोगों तक को इसकी चिंता नहीं क्योंकि वे धन की लालच में अपनी जमीन बेच देते हैं और बिल्डर इस पर फ्लैट्स बना देते हैं. इसके बाद ब्लैक मनी को व्हाइट में बदलने वाले उन्हें खरीद लेते हैं लेकिन यहां रहने कोई नहीं आता. यह बंद होना चाहिए. यह यहां की सांस्कृति विरासत पर हमला है.’

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पोद्दार यह भी कहते हैं कि सांसद हेमा मालिनी का विधवाओं को लेकर दिया गया बयान सर्वादा उचित है क्योंकि यह सच को प्रदर्शित करता है. बकौल पोद्दार, ‘वृंदावन विधवाओं और उपेक्षित महिलाओं के लिए शरणगाह हो सकता है लेकिन यह वैश्यावृति का केंद्र नहीं हो सकता. यहां भजन-कीर्तन के लिए आना गलत नहीं लेकिन उसकी आड़ में यहां आकर कुछ और करना या करवाना गलत है.’

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