भगवान गणेश को मंगलमूर्ति कहा जाता है. इनकी उपासना से हर विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं. संतान,शिक्षा और भाग्य के लिए भगवान गणेश की उपासना अचूक होती है. अगर कुंडली में कोई अशुभ योग हो तो वो भी गणपति की उपासना से नष्ट हो जाते हैं. गणपति की पूजा सामान्यतः सरल है और केवल पत्तों से भी की जा सकती है.
पत्तों से की गयी उपासना कैसे लाभकारी होती है?
पत्तों के अलग अलग रंग और सुगंध होते हैं
हर सुगंध और रंग अलग अलग ग्रहों और समस्याओं से सम्बन्ध रखती है
गणेश जी को अलग अलग मन्त्रों के साथ पत्ते अर्पित किये जाते हैं
विशेष तरीके से गणेश जी को अलग अलग पत्ते अर्पित किये जाएँ तो हर कामना पूरी की जा सकती है
किस प्रकार पत्ते अर्पित करें?
- गणेश जी को पत्ते बुधवार को या चतुर्थी तिथि को अर्पित करें
- प्रातः काल स्नान करके गणेश जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं
- उन्हें मोदक का भोग लगाएं
- इसके बाद अपनी कामना के अनुसार अलग अलग पत्ते मन्त्रों के साथ अर्पित करें
- एक बार में कम से नौ पत्ते अर्पित करें
- ज्यादा से ज्यादा 108 पत्ते भी अर्पित कर सकते हैं
अलग अलग मनोकामनाओं के लिए कौन-कौन से पत्ते किस मंत्र के साथ अर्पित करें?
- उच्च पद प्राप्ति के लिए - "गणाधीशाय नमः" कहकर भंगरैया का पत्ता अर्पित करें
- संतान प्राप्ति के लिए - "उमापुत्राय नमः" कहकर बेलपत्र अर्पित करें
- अच्छे स्वास्थ्य के लिए - "लम्बोदराय नमः" कहकर बेर का पत्ता अर्पित करें
- कार्य के बाधा नाश के लिए - "वक्रतुण्डाय नमः" कहकर सेम का पत्ता अर्पित करें
- मान सम्मान , नाम यश की प्राप्ति के लिए - "चतुर्होत्रे नमः" कहकर तेजपत्ता अर्पित करें
- नौकरी प्राप्ति के लिए - "विकटाय नमः" कहकर कनेर का पत्ता अर्पित करें
- व्यवसाय में लाभ के लिए - "सिद्धिविनायकाय नमः" कहकर केतकी का पत्ता अर्पित करें
- आर्थिक लाभ के लिए - "विनायकाय नमः" कहकर आक का पत्ता अर्पित करें
- ह्रदय रोग में लाभ के लिए - "कपिलाय नमः" कहकर अर्जुन का पत्ता अर्पित करें
- शनि की पीड़ा को शांत करने के लिए - "सुमुखाय नमः" कहकर शमी का पत्ता अर्पित करें