बालब्रह्मचारी हनुमान शादी का वरदान देते हैं, लेकिन लेकिन इसके लिए भक्तों को 5 मंगलवार की अराधना करनी होती है. झांसी में मौजूद मुद्रिका हनुमान के दर्शन पूजन से भक्तों को जल्द विवाह का वरदान मिल जाता है.
अन्य मंदिरों की तरह यहां भी ढोल, मंजीरों से हनुमान जी का गुणगान होता है और बजरंगबली की आरती उतारकर मांगी जाती है मनोकामना. दोनों हाथ जोड़, आंख बंद करके भक्त अपने अराध्य का स्मरण करते हैं और फिर खुद ब खुद बजरंगबली के चरणों में उनका शीश झुक जाता है. ये महिमा हैं झांसी के कुछ ही दूरी बर बसे बाबा हनुमान की, जहां धरती पर सूर्य की पहली किरण पड़ती नहीं है कि भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है.
वैसे तो यहां प्रभु के दर्शन के लिए बेरोकटोक कोई भी आ सकता है लेकिन यहां आनेवाले भक्तों में महिलाओं और लड़कियों की तादाद सबसे ज्यादा होती है. ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी अपने मंदिर में आनेवाली हर माहिला भक्त को अपनी मां के रूप में देखते हैं. आखिर मुद्रिका धारी हनुमान की कहानी भी तो मां सीता से ही जुड़ी है.
यहां पर हाथ में मुद्रिका धारण किए हनुमान जी की मूर्ति उस समय की याद दिलाती है, जब भगवान राम के आदेश पर वो मुद्रिका लेकर माता-सीता की खोज करने निकले और अपने प्रभु से निशानी के रूप में उनकी मुद्रिका ली. जब हनुमान जी माता सीता को खोजते हुए लंका की अशोक वाटिका में पहुंचे तो वहां उनका कष्ट देखकर उनका रोम-रोम कांप उठा, उनका हाथ खुद ब खुद सीने पर चला गया और उनके मुह से आह निकल गई. कहते हैं कि झांसी का ये मंदिर हनुमान जी के उसी रूप को दर्शाता है.
यहां हनुमान जी की मूर्ति को छूने की इजाजत किसी को नहीं है. मंदिर के चारों ओर आठ खिड़की और चार दरवाजे हैं, जिनसे हनुमान जी के दर्शन किए जा सकते हैं. इसलिए इन्हें दूर के बाबा भी कहा जाता है. भले ही भक्तों को हनुमान जी के चरण छूने का सुख नहीं मिलता हो, लेकिन सच्चे मन से की गई आराधना उन्हें बजरंगबली का वरदान जरूर दिलाती है. खास तौर पर मनचाहे जीवनसाथी और संतान सुख का आशीर्वाद जरूर देते हैं पवनपुत्र.
जो भी भक्त महिला इस मंदिर में आती है भगवान उनकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं. यहां पर 5 मंगलवार आने से भक्तों को जीवनसाथी का वरदान मिलता है. तभी तो भक्त कम से कम पांच मंगलवार यहां जरूर आते हैं. भक्त यहां चने, इलायची दाने का प्रसाद चढ़ाकर पूरी श्रद्धा और भक्ति से भगवान की पूजा करते हैं और कामना पूरी होने पर यहां आना कभी नहीं भूलते.