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इन परपंराओं से ही तो है करवाचौथ के व्रत की खूबसूरती...

सुहागिनें हर साल अपने पति की लंबी उम्र की कामना में करवाचौथ का व्रत रखती हैं. यदि आपने भी करवाचौथ का व्रत रखा है तो हर सुहागिन को जरूर जाननी चाहिए ये परंपराएं और नियम...

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करवाचौथ का व्रत रखा है तो जरूर जानें ये बातें...
करवाचौथ का व्रत रखा है तो जरूर जानें ये बातें...

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सुहागिनें हर साल अपने पति की लंबी उम्र की कामना में करवाचौथ का व्रत रखती हैं. उत्तरी भारत में तो इसे किसी त्योहार की तरह ही मनाया जाता है. करवाचौथ के व्रत को बेहद कठिन माना जाता है लेकिन फिर भी महिलाएं इसे पूरी श्रद्धा से रखती हैं.

यहां लें इस व्रत से जुड़ी परंपराओं, पूजा विधि और नियमों की जानकारी -

क्या होते हैं सरगी, बाया और पोइया...
सरगी:
यह सास की ओर से बहू को मिलने वाला उपहार होता है. सरगी में मिली चीजों को व्रत शुरू करने से पहले खाया जाता है. इसमें मठरी, मेवे, फल, मिठाई आदि चीजें शामिल रहती हैं. पारंपरिक तौर तरीकों में इस सामान को मिट्टी के बर्तन में रखकर दिया जाता है.

करवाचौथ पूजन के लिए इस तरह सजाएं थाली...

बाया
ये वो सामान है जो करवाचौथ के मौके पर लड़की के मायके से उसके ससुराल आता है. इसमें मिठाइयां, मेवे, कपड़े, बर्तन, चावल आदि शामिल रहते हैं. यह सामान आमतौर पर करवा चौथ की कथा होने से पहले लड़की के घर पहुंचाया जाता है.

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सुहाग की सलामती का पर्व करवाचौथ

पोईया
करवाचौथ के व्रत के मौके पर जो सामान बहू अपनी सास को देती है, उसे पंजाब में पोईया कहा जाता है. इसमें सुहाग का सामान जैसे बिंदी, चूड़ियां, सिंदूर के अलावा मठरी, मिठाइयां, मेवे और सूट या साड़ी शामिल रहते हैं. इस सामान को लड़कियां पूजा में पूजने के बाद ही सास को देती हैं.

क्यों देखते है छलनी से चांद
इस व्रत की कथा के अनुसार, एक बार किसी बहन को उसके भाइयों ने स्त्रेहवश भोजन कराने के लिए छल से चांद की बजाय छलनी की ओट में दीपक दिखाकर भोजन करवा दिया. इस तरह उसका व्रत भंग हो गया. इसके पश्चात उसने पूरे साल चतुर्थी का व्रत किया और जब दोबारा करवा चौथ आया तो उसने विधिपूर्वक व्रत किया और उसे सौभाग्य की प्राप्त हुई.
उस करवा चौथ पर कन्या ने हाथ में छलनी लेकर चांद के दर्शन किए थे. इसलिए छलनी के जरिए बहुत बारीकी से चंद्रमा को देखने के बाद ही व्रत खोला जाता है ताकि कोई इसे भंग न कर पाए.

क्या है पंजाब के करवाचौथ की परंपरा
पंजाब में करवाचौथ लगभग फिल्मों जैसे तरीके से मनाया जाता है. सुबह सरगी खाने के बाद शाम को कथा होती है. इसमें महिलाएं एक घेरे में बैठती हैं और कोई बुजुर्ग महिला या पंडिताइन व्रत की कथा सुनाती है. इस दौरान वे थाली फिराती हैं.
पूजा समाप्त होने के बाद सास अगर कहे तो महिलाएं पानी या चाय लेती हैं. फिर सास को पोईया दिया जाता है. शाम को छलनी से चांद और फिर पति का चेहरा देखने के बाद करवाचौथ का व्रत पूर्ण होता है.

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राजस्थान में ऐसा होता है करवाचौथ
राजस्थान में महिलाएं मिट्टी के करवे बनाकर उसमें गेहूं और चावल भरकर पूजा करती हैं. इस दिन वे शादी का जोड़ा पहनती हैं. राजस्थान में करवाचौथ को व्रत पूर्ण‍िमा भी कहते हैं.

उत्तर प्रदेश का करवाचौथ
उत्तर प्रदेश में भी करवाचौथ पति की लंबी उम्र की कामना के साथ रखा जाता है. इस दिन घरों में खासतौर पर गौरी पूजन होता है. मिट्टी के दीयों का इस पूजा में खास महत्व रहता है. वहीं चांद देखने से पहले घर में पूजा की जाती है.
गुजरात में भी करवाचौथ पूरी धूम के साथ मनाया जाता है. वहीं मध्य प्रदेश में इसकी परंपराएं लगभग उत्तर प्रदेश जैसी ही हैं.

करवा चौथ के व्रत के नियम और सावधानियां
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो इस बार करवाचौथ का ये व्रत हर सुहागिन की जिंदगी संवार सकता है, लेकिन इसके लिए इस दिव्य व्रत से जुड़े नियम और सावधानियों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं कि इस अद्भुत संयोग वाले करवाचौथ के व्रत में क्या करें और क्या ना करें...
- केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही स्त्रियां ये व्रत रख सकती हैं.
- व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े कतई नहीं पहनने चाहिए.
- करवाचौथ के दिन लाल और पीले कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है.
- करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है.
- ये व्रत निर्जल या केवल जल ग्रहण करके ही रखना चाहिए.
- इस दिन पूर्ण श्रृंगार और अच्छा भोजन करना चाहिए.
- पत्नी के अस्वस्थ होने की स्थिति में पति भी ये व्रत रख सकते हैं.

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करवाचौथ व्रत की उत्तम विधि
आइए जानें, करवाचौथ के व्रत और पूजन की उत्तम विधि के बारे जिसे करने से आपको इस व्रत का 100 गुना फल मिलेगा...
- सूर्योदय से पहले स्नान कर के व्रत रखने का संकल्पत लें.
- फिर मिठाई, फल, सेंवई और पूड़ी वगैरह ग्रहण करके व्रत शुरू करें.
- फिर संपूर्ण शिव परिवार और श्रीकृष्ण की स्थापना करें.
- गणेश जी को पीले फूलों की माला , लड्डू और केले चढ़ाएं.
- भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें.
- श्री कृष्ण को माखन-मिश्री और पेड़े का भोग लगाएं.
- उनके सामने मोगरा या चन्दन की अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं.
- मिटटी के कर्वे पर रोली से स्वस्तिक बनाएं.
- कर्वे में दूध, जल और गुलाबजल मिलाकर रखें और रात को छलनी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें.
- इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार जरूर करें, इससे सौंदर्य बढ़ता है.
- इस दिन करवा चौथ की कथा कहनी या फिर सुननी चाहिए.
- कथा सुनने के बाद अपने घर के सभी बड़ों का चरण स्पर्श करना चाहिए.
- फिर पति के पैरों को छूते हुए उनका आशीर्वाद लें.
- पति को प्रसाद देकर भोजन कराएं और बाद में खुद भी भोजन करें.

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