साधु-संतों के 13 प्रमुख अखाड़ों की संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में 22 अप्रैल से शुरू होने वाले सिंहस्थ मेले में हिस्सेदारी के लिये नवगठित किन्नर अखाड़े को मान्यता देने से इंकार कर दिया है. लेकिन इसके बावजूद किन्नर अखाड़ा हिंदुओं के इस महत्वपूर्ण धार्मिक जमावड़े में हिस्सा होने पर अडिग है और उसका दो टूक कहना है कि उसे अखाड़ा परिषद की मान्यता की जरूरत नहीं है.
देश की मशहूर किन्नर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी उर्फ लक्ष्मी भी किन्नर अखाड़े के समर्थन में उतर आयी हैं. वह सिंहस्थ मेले से पहले उज्जैन के गंधर्व घाट पर क्षिप्रा नदी के सफाई अभियान में अन्य किन्नरों के साथ शामिल हुईं. किन्नर अखाड़े ने घोषणा की है कि वह महीने भर के धार्मिक मेले में इसी घाट पर अपना शाही स्नान करेगा.
क्षिप्रा सफाई अभियान में शामिल होने से पहले लक्ष्मी ने कहा, ‘हम अखाड़ा परिषद से मान्यता मांगने नहीं गये थे और यह संस्था हमें मान्यता देने वाले होती कौन है. किन्नर तो पैदाइशी योगी हैं. किन्नरों ने सनातन हिंदू धर्म की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान किया है. हमें किसी के प्रमाणपत्र या मान्यता की कोई जरूरत नहीं है.’
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि द्वारा हाल ही में किन्नर अखाड़े को मान्यता देने से इंकार किये जाने पर भड़कते हुए लक्ष्मी ने कहा, ‘नरेंद्र गिरि निर्थक बयानबाजी कर रहे हैं. किसी के विरोध से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. हम सिंहस्थ मेले की हर गतिविधि में शामिल होंगे.’
उन्होंने कटाक्ष किया, ‘कुछ संत शायद इस डर से किन्नर अखाड़े का विरोध कर रहे हैं कि तीसरे लिंग के धर्म जगत की अगुवाई की भूमिका में आने के बाद उनका क्या होगा.’ लक्ष्मी ने साधु-संतों के 13 प्रमुख अखाड़ों पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘आखिर हिंदुओं के किस प्रमुख शास्त्र में अखाड़ा पद्धति का जिक्र है.
दूसरी ओर, सनातन हिंदू धर्म के कई पवित्र ग्रंथों में किन्नरों का विशेष उल्लेख है.’ उन्होंने कहा, ‘किन्नरों के वजूद को सदियों से दरकिनार किया जाता रहा है. हमने अपना खोया वजूद हासिल करने और समाज की मुख्य धारा में शामिल होने के लिये किन्नर अखाड़े की स्थापना की है.
किन्नर अखाड़ा अन्य 13 अखाड़ों की तरह सिंहस्थ मेले में अपना तंबू गाड़कर ध्वज फहरायेगा. इसके साथ ही, मेले में भजन-कीर्तन, नृत्य, आरती और यज्ञ आदि करेगा.’ किन्नरों की मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता ने मध्यप्रदेश सरकार से मांग की कि उसे किन्नर अखाड़े को वे सभी सुविधाएं और आर्थिक सहायता देनी चाहिये, जो वह अन्य 13 अखाड़ों को दे रही है.
उन्होंने उज्जैन में क्षिप्रा नदी में प्रदूषण पर चिंता भी जताई, जिसके तट पर 22 अप्रैल से 21 मई तक सिंहस्थ मेला लगेगा. इस मेले में दुनिया भर से करीब पांच करोड़ लोगों के जुटने की उम्मीद है. लक्ष्मी ने कहा, ‘यह विडम्बनापूर्ण है कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी की स्थिति किसी नाले जैसी हो गयी है. लेकिन प्रशासन कुंभकर्ण जैसी नींद में है.