कुम्भ का शाब्दिक अर्थ कलश होता है. कुम्भ का पर्याय पवित्र कलश से होता है. इस कलश का हिन्दू सभ्यता में विशेष महत्व है. कलश के मुख को भगवान विष्णु, गर्दन को रूद्र, आधार को ब्रम्हा, बीच के भाग को समस्त देवियों और अंदर के जल को संपूर्ण सागर का प्रतीक माना जाता है. यह चारों वेदों का संगम है. इस तरह कुम्भ का अर्थ पूर्णतः औचित्य पूर्ण है.
कुम्भ का मौलिक अर्थ
वास्तव में कुम्भ हमारी सभ्यता का संगम है. यह आत्म जाग्रति का प्रतीक है. यह मानवता का अनंत प्रवाह है. यह प्रकृति और मानवता का संगम है. कुम्भ ऊर्जा का स्त्रोत है. कुम्भ मानव-जाति को पाप, पुण्य और प्रकाश, अंधकार का एहसास कराता है. नदी जीवन रूपी जल के अनंत प्रवाह को दर्शाती है. मानव शरीर पञ्चतत्वों से निर्मित है. यह तत्व हैं- अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी और आकाश. संत कबीर ने इस तथ्य को बड़े सुन्दर तरीके से बताया है.
हिमालय को देवों का निवास स्थान माना जाता है. गंगा का उद्गम हिमालय से ही हुआ है. गंगा जंगलों, पर्वतों, और समतल मैदानों से होते हुए अंतत: सागर में मिल जाती है. गंगा ने सूर्यवंशी राजा सागर के पुत्रों को श्राप से मुक्त किया था. गंगा के जल को अमृत माना जाता है.
यमुना भी पवित्र मानी जाती है. यमुना को त्रिपथगा, शिवपुरी आदि नामों से भी जाना जाता है.