scorecardresearch
 

गणेश जी ने किसे दिया था गीता का ज्ञान

श्री कृष्ण ने महाभारत में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. यह तो हम सब जानते हैं, पर क्या आप यह जानते हैं कि शिव पुत्र गणेश ने भी किसी को गीता का ज्ञान दिया था. आइये जानते हैं कि गणेश जी ने किसे गीता का उपदेश दिया.

Advertisement
X
Lord Ganesha
Lord Ganesha

Advertisement

श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का पाठ पढ़ाया था. गीता का एक उपदेश गणपति ने भी किसी को दिया था. दोनों के उपदेश में लगभग सारे विषय समान ही थे. कुछ अलग था तो वह उनके मन की स्थ‍िति और परिस्थि‍ति थी.
महाभारत में जहां श्रीकृष्ण अर्जुन को उनका कर्तव्य याद दिलाया था, वहीं गणेश गीता में गणपति ने यह उपदेश युद्ध के बाद राजा वरेण्य को दिया था.

घर में खुशहाली के लिए ऐसे करें भगवान गणेश की स्थापना

क्या कहा था गणेश जी ने गीता में

  • 'गणेशगीता' के 11 अध्यायों में 414 श्लोक हैं.
  • गणेशगीता के पहले अध्याय 'सांख्यसारार्थ' में गणपति ने राजा वरेण्य को योग का उपदेश दिया और शांति का मार्ग बतलाया.
  • इसके दूसरे अध्याय में गणेश जी ने राजा को कर्म के मर्म का उपदेश दिया. इस अध्याय का नाम है 'कर्मयोग'
  • तीसरे अध्याय में गणेश जी ने राजा वरेण्य को अपने अवतार धारण करने का रहस्य बताया.
जानिए दिवाली पर क्यों गिफ्ट नहीं करनी चाहिए भगवान की तस्वीर...
  • गणेशगीता में योगाभ्यास तथा प्राणायाम से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण बातें बतलाई गई हैं.
  • छठे अध्याय 'बुद्धियोग' में भगवान गणपति राजा वरेण्य को समझाते हैं कि अपने सत्कर्म के प्रभाव से ही मनुष्य में ईश्वर को जानने की इच्छा जागृत होती है. जिसका जैसा भाव होता है, उसके अनुरूप ही मैं उसकी इच्छा पूर्ण करता हूं. अंतकाल में भगवान को पाने की इच्छा करने वाला भगवान में ही लीन हो जाता है. मेरे तत्व को समझने वाले भक्तों का योग-क्षेम मैं स्वयं वहन करता हूं.
  • गणेशगीता में भक्तियोग का वर्णन भी है. इसमें भगवान गणेश ने राजा वरेण्य को अपने विराट रूप का दर्शन कराया.
पूजा में हर फूल का है अपना अलग महत्व, ऐसे करें इस्तेमाल तो बरसेगी प्रभु की कृपा
  • नौवें अध्याय में क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का ज्ञान तथा सत्व, रज, तम तीनों गुणों का परिचय दिया गया है.
  • दसवें अध्याय में दैवी, आसुरी और राक्षसी तीनों प्रकार की प्रकृतियों के लक्षण बतलाए गए हैं. इस अध्याय में गजानन कहते हैं कि काम, क्रोध, लोभ और दंभ ये चार नरकों के महाद्वार हैं, अत: इन्हें त्याग देना चाहिए तथा दैवी प्रकृति को अपनाकर मोक्ष पाने का यत्न करना चाहिए.
  • अंतिम ग्यारहवें अध्याय में कायिक, वाचिक तथा मानसिक भेद से तप के तीन प्रकार बताए गए हैं.
गणेश पूजन में नहीं प्रयोग होती तुलसी, जानिए क्‍यों
  • गणेशगीता का ज्ञान पाने के बाद राजा वरेण्य राजगद्दी त्यागकर वन में चले गए. वहां उन्होंने गणेशगीता में कथित योग का आश्रय लेकर मोक्ष पा लिया.
  • गणेशगीता में लिखा है कि जिस प्रकार जल, जल में मिलने पर जल ही हो जाता है, उसी तरह श्रीगणेश का चिंतन करते हुए राजा वरेण्य भी ब्रह्मालीन हो गए.

Advertisement
Advertisement