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फलदायी है चंद्रग्रहण और हनुमान जयंती का संयोग

शास्त्र के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को एकादश रुद्रावतार हनुमानजी का जन्म हुआ था. पंचांग के अनुसार, हनुमानजी का जन्म पूर्णिमा तिथि और हस्ता नक्षत्र के शुभ संयोग में हुआ था. इस बार शनिवार को रामभक्त हनुमानजी की जयंती मनाई जा रही है.

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बजरंग बली
बजरंग बली

शास्त्र के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को एकादश रुद्रावतार हनुमानजी का जन्म हुआ था. पंचांग के अनुसार, हनुमानजी का जन्म पूर्णिमा तिथि और हस्ता नक्षत्र के शुभ संयोग में हुआ था. इस बार शनिवार को रामभक्त हनुमानजी की जयंती मनाई जा रही है. श्रीहनुमानलला की आरती

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इस बार हनुमान जयंती विशेष फलदायी है, क्योंकि शनिवार को ही खग्रास चंद्रग्रहण भी है. यह संयोग भक्तों के लिए लाभकारी है. ये हैं हनुमानजी के 5 सगे भाई...

चैत्र मास पूर्णिमा यानी चार अप्रैल को खग्रास चंद्रग्रहण है. चंद्रग्रहण दिन में 3.46 बजे शुरू होकर शाम 7.16 बजे तक रहेगा.

ज्योतिषाचार्य गणेश दत्त त्रिपाठी ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत के नगालैंड से चंद्रग्रहण दिखाई देना शुरू होगा. सूर्यास्त के समय यह पश्चिम में दिखाई देगा. उन्होंने कहा कि यह चंद्रग्रहण अजीब संयोग वाला है. ग्रहण मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु, राशि वालों के लिए लाभदायक, जबकि वृष, मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, मकर, कुंभ, मीन राशि वालों के लिए कष्टदायी होगा. ग्रहण का सूतक सूर्योदय से शुरू होगा.

त्रिपाठी ने कहा कि सूतक व ग्रहण काल में दान, जप, पाठ, मंत्र, सिद्धि, तीर्थस्नान, कीर्तन आदि में ग्रहण का प्रकोप कम हो जाता है. ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श करना, खाना-पीना, मैथुन, निद्रा से बचें. बालक, वृद्ध, रोगी, गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से भोजन, दवाई लेने से कोई दोष नहीं लगता. खाने-पीने की चीजों में कुशा रखें.

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ज्योतिषाचार्य ने कहा कि ग्रहण काल में हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए और ग्रहण के बाद स्नान जरूरी कर लेना चाहिए.

इनपुट: IANS

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