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...जब शिवलिंग हुआ जलमग्न, पर नहीं बुझे अखंड दीपक

मध्य प्रदेश के भिंड में शाम के समय हुई भारी बारिश के चलते शहर के बीचों बीच स्थित एतिहासिक प्राचीन शिव मंदिर के अंदर तक पानी घुस गया. जिसके चलते प्राचीन शिवलिंग पूरी तरह जलमग्न हो गया.

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शिवलिंग तक पहुंचा पानी
शिवलिंग तक पहुंचा पानी

मध्य प्रदेश के भिंड में शाम के समय हुई भारी बारिश के चलते शहर के बीचों बीच स्थित एतिहासिक प्राचीन शिव मंदिर के अंदर तक पानी घुस गया. जिसके चलते प्राचीन शिवलिंग पूरी तरह जलमग्न हो गया.

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लोगों की मानें तो इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि वनखंडेश्वर मंदिर में पानी अंदर घुसा हो और शिवलिंग जलमग्न हुआ हो. लेकिन पुजारी का दावा है कि वनखंडेश्वर मंदिर में कई सौ वर्षों से जल रहे अखंड दीपकों तक पानी पहुंचने से पहले ही बारिश थम गई और दीपक नहीं बुझे.

मंदिर के पुजारी के अनुसार, पानी दीपकों तक पहुंच चुका था लेकिन फिर अचानक से पानी कम होने लगा. इसको श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ का चमत्कार मान रहे हैं. मंदिर में भरे हुए पानी को भक्तों ने बाल्टियों से बाहर निकाला. कुछ रोज पहले उज्जैन के महाकाल मंदिर के अन्दर इतिहास में पहली बार पानी घुसा था. अब भिंड शहर में स्थित एतिहासिक वनखंडेश्वर मंदिर के अंदर पानी घुस गया, जो इतिहास में पहली बार हुआ है. शहर के बीचों बीच स्थित यह मंदिर लगभग नौ सौ साल पुराना है. इस मंदिर का निर्माण ग्यारहवीं शताब्दी में दिल्ली के राजा पृथ्वीराज चौहान ने करवाया था.

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बताया जाता है कि मोहम्मद गौरी से युद्ध के समय पृथ्वीराज चौहान ने इस जगह पर अपना डेरा डाला था और काफी समय यहां रुके. पृथ्वीराज चौहान शिवभक्त थे और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करते थे इसलिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया. चूंकि यहां पर घना जंगल हुआ करता था इसलिए इस मंदिर का नाम वनखंडेश्वर पड़ा. वनखंडेश्वर मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है और हर सोमवार को यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. विशेषकर श्रावण मास में यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. इस मंदिर में घी से जल रहे दो अखंड दीपक भी मंदिर के निर्माण के समय से ही जल रहे हैं और हमेशा जलते रहते हैं. भक्तों द्वारा इन दीपकों के लिए घी दान किया जाता है.

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