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श्रद्धा और आस्था का अद्भुत मेल है 'महाकुंभ'

महाकुंभ श्रद्धा और आस्था के मेल का वो अद्भुत मेला जिसका गवाह हर व्यक्ति बनना चाहता है. महाकुंभ के दौरान हर कोई गंगा में डुबकी लगाकर हर पाप, हर कष्ट से मुक्त होना चाहता है.

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महाकुंभ श्रद्धा और आस्था के मेल का वो अद्भुत मेला जिसका गवाह हर व्यक्ति बनना चाहता है. महाकुंभ के दौरान हर कोई गंगा में डुबकी लगाकर हर पाप, हर कष्ट से मुक्त होना चाहता है.

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14 जनवरी यानि मकर संक्राति के दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही प्रयाग में गंगा, यमुना सरस्वती के संगम तट पर शुरू हो जाएगा महाकुंभ का महापर्व. प्रयाग में महाकुंभ की तैयारियां हो चुकी हैं. मेला क्षेत्र सज चुका है और साधुओं के अखाड़े और आश्रम लग चुके हैं. तंबू और त्रिपाल लगाए जा चुके हैं और नागा साधुओं ने अपनी धूनी रमा ली है.

इंतजार है तो बस मकर संक्राति का ये महाकुंभ दुनिया के किसी भी कोने में होने वाले किसी भी आयोजन से बड़ा होगा. ये महाकुंभ पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ देगा. अनुमान है कि इस महाकुंभ में 10 करोड़ से भी ज्यादा लोग संगम तट पर जुटेगें और लगाएंगे गंगा में डुबकी.

कहते हैं कि अमृत के लिए देवताओं असुरों के बीच 12 दिनों तक चले युद्ध के दौरान अमृत की कुछ बूंदे धरती पर चार जगहों पर गिरी थी और उन्हीं 4 जगहों पर हर 12 साल बाद कुंभ मेले का आयोजन होता है. अमृत की पहली बूंद प्रयाग के संगम तट पर गिरी थी तभी से मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान संगम की धारा में अमृत का प्रवाह होता है.

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महाकुंभ में संगम तट पर हिन्दुस्तान की सभी संस्कृतियों का संगम देखने के मिलेगा. इस संतरगी मेले में हिन्दू आस्था का सैलाब उमड़ेगा जो न केवल भारतीयों बल्कि पूरी दुनिया के लिए आकर्षण का केन्द्र है. तभी तो इस मेले में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं को किसी पहचान की जरूरत नहीं.

श्रद्धा के इस महामिलन में न केवल भारतीय बल्कि विदेशियों में खासी उत्सुकता देखने को मिलती है. जो महाकुंभ के आने का इंतजार तो करते ही हैं और बढ़-चढ़कर महाकुंभ का हिस्सा भी बनते हैं. इस बार अनुमान है कि महाकुंभ में करीब 10 लाख विदेशी सैलानी भी आएंगे.

मेला बेशक पुराना है लेकिन इसकी जीवंतता में कोई कमी नहीं. महाकुंभ में श्रद्धा से सराबोर पुरानी परंपराएं दिखेगी तो वहीं आधुनिकता के रंग भी क्योंकि महाकुंभ की ये परंपराएं किसी को बांधने के लिए नहीं बल्कि मुक्त करने के लिए हैं.

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