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जहां गणपति बाप्पा पहाड़ी की चोटी पर देते हैं दर्शन

महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में रत्नागिरी जिले के खूबसूरत पहाड़ी में समुंद्र के किनारे आंजर्ले गांव बसा है. इस आंजर्ले गांव के पहाड़ी पर भगवान गणेश का मंदिर स्थित है. महाराष्ट्र में गणेश भक्त इसे 'कडया वरील गणेश ' कहते हैं.

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पहाड़ी पर मौजूद है भगवान गणेश का प्राचीन मंदिर
पहाड़ी पर मौजूद है भगवान गणेश का प्राचीन मंदिर

महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में रत्नागिरी जिले के खूबसूरत पहाड़ी में समुद्र के किनारे आंजर्ले गांव बसा है. इस आंजर्ले गांव के पहाड़ी पर भगवान गणेश का मंदिर स्थित है. महाराष्ट्र में गणेश भक्त इसे 'कडया वरील गणेश ' कहते हैं.

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ये कडया वरील गणेश मंदिर बारहवीं शताब्दी में लकड़ी और नारियल के पत्तों से बनाया था और ये मंदिर समुद्र के किनारे पर हुआ करता था. कहा जाता है समुद्र के पानी का स्तर बढ़ता गया और ये मंदिर जलमय होने लगा, तब इस गणेश मंदिर की गणेशजी की मूर्ति आंजर्ले गांव वालों ने दोबारा प्रस्थापित की.

समुद्र के किनारे से पहाड़ी ले जाते समय जिस जगह मूर्ति को जमीन पर रखा गया. उस जगह पर एक छोटा सा मंदिर बनाया गया जिसे गणपति चे पाऊल कहा गया, जिसका मतलब गणेश के कदम होता है. सत्रहवीं शताब्दी में उस वक्त के गणेश मंदिर के व्यस्थापक रामकृष्णभक्त हरी नित्सुरे, इन्हें सपना आया कि लकड़ी से बना हुआ मंदिर का पुननिर्माण किया जाना चाहिए.

आंजर्ले गांव में किसी की भी आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी. मंदिर के निर्माण के लिए पचास हजार रुपये की जरूरत थी. ऐसे में पेशवाओं के साहूकार - याने पुणे के रामकृष्णघाणेकर और धारवाड़ के रघुनाथ कृष्ण भट इन दो साहूकार , जो इस गणेश जी भक्त थे उनके आर्थिक मदद से मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया.

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मंदिर के व्यस्थापक शशिकांत पेंडसे ने कहा कि हमारी जानकारी के मुताबिक, ये मंदिर पहले समुद्र के पानी में था, जहां किला है उसके बाजू में ये मंदिर था. ये मंदिर की रचना प्राचीन भारतीय याने वाकाटक युग , मध्य युगीन रोमन और गोथिक शैली से बनाया है. मंदिर में तीन भाग है गर्भागार, सभागार और दोनों को जोड़नेवाला अंतराल. मन्दिर के शिखर में दो गुप्त कमरे बनाये गए हैं, जिसमें बैठकर गांववाले समुद्र के रास्ते वाले जहाजों पर पैनी नजर रखते थे.

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